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कोई रोगी नहीं मिला
दो बुरी आदतों के कारण ही वे कभी आपकी सेवा में हाजिर नहीं हो सके !
हकीम ने शर्म से सिर झुका लिया और कहा-'हजरत ! आप बिल्कुल सही कह रहे हैं । ये ही तो कुदरत के दो सुनहरे नियम हैं जो मनुष्य के स्वास्थ्य को सदा अक्षुण्ण बनाये रखते हैं। नीरोग और स्वस्थ जीवन के लिए ये ही दो उपाय हैं, और जब प्रजा स्वयं ही इन नियमों का पालन करती है तो मेरे जैसे हकीमों की यहाँ कोई जरूरत ही नहीं। सब स्वयं ही अपने हकीम हैं।' और ईरान का हकीम बीस वर्ष वाद स्वस्थजीवन का महान् सूत्र सीखकर अपने देश को लौट गया।
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