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सच्चा साधु
जिसने ममता को मार दिया-वह मुनि है । कहा हैसे हु दिट्ठपहे मुणि जस्स नत्थि ममाइयं
-आचारांग १२।६ वही मुनि सच्चा मोक्ष का द्रष्टा है, अपने पंथ का ज्ञाता है, जिसके मन में ममता की गांठ नहीं है।
जो सान होकर भी धन की आशक्ति में डूबा है, पैसे का पाजी बना है, वह कैसा साधु ?
एक राजा के जन्मदिवस पर अनेक बहुमूल्य उपहार आये । राजा बड़ा धार्मिक प्रकृति का था। उसने अपने प्रधान को आदेश दिया कि-आज के उपलक्ष्य में आये हए समस्त उपहार नगर के साधु संन्यासियों में बाँट दो।
राजा की आज्ञा से प्रधान नगर में साधु संन्यासियों की खोज करने निकला और शाम को समस्त उपहार ज्यों के त्यों लाकर राजा के सन्मुख रख दिए । राजा ने
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