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प्रतिध्वनि
चुने गये । अब उन तीन में से भी एक सर्वाधिक बुद्धिमान को चुनने का प्रश्न आया। राजा ने उनके चुनाव-परीक्षण का भी एक दिन निश्चित किया। उन तीनों की परीक्षा की पहली रात को नगर में एक अफवाह उड़ा दी गई कि कल राजा इन तीनों व्यक्तियों को एक कमरे में बंद करेगा, और उस पर एक ऐसा विचित्र ताला लगाया जायेगा जो भीतर से ही खल सकेगा। वह चाबी से नहीं, किन्तु गणित विधि से खोला जा सकेगा। जो गरिगत में सबसे अधिक प्रतिभाशाली होगा वही उसे खोल सकेगा।
उन तीनों ने भी यह अफवाह सूनी, उसमें से दो व्यक्ति बड़े चिन्तित हो उठे। वे रात भर तालों के संबंध में लिखे गये अनेक शास्त्रों के पन्ने उलटते रहे। और गणित के नियमों को समझने में मगजपच्ची करते रहे। रात भर जगने से उनकी आँखें सूज गई थी, चेहरा धूप खाये फूल की तरह कुम्हला गया था । चिता और उत्तजना के कारण उनका मानसिक संतुलन भी बिगड़ गया था।
किंतु तीसरा व्यक्ति बिल्कुल बे परवाह था । वह रात भर शांति से सोया और सुबह प्रसन्नता एवं ताजगी के साथ उटकर अपने नित्य कर्म में लग गया।
राजभवन में जाने के समय उन दोनों के पाँव डगमगा रहे थे । उनके हाथों में गणित की बड़ी-बड़ी पुस्तकें थीं, आँखें नींद से भारी हो रही थी। पर तीसरा व्यक्ति विना किसी यारी के प्रसन्नता के साथ राज भवन
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