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बुद्धि को उलटिए जाये, यदि चला जाये तो उसे तुरंत मोडले, वहाँ उसे लीन मत होने दे।
यही बात गरगधर गौतम ने कही है
मन रूपी घोड़ा जो दौड़ लगाता हुआ कुमार्ग में जाना चाहता है, मैं उसकी लगाम पकड़े बैठा हूँ और उसे सन्मार्ग की ओर बढ़ाए चल रहा हूँ।
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