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प्रतिध्वनि
करने वाले इन्सान को दिन में खर्राटे भरकर सोते देखा तो मैंने खुश होकर कहा-इसका सोना जागने से बेहतर है, न सिर्फ इसके लिए ही, किंतु दूसरों के लिए भी।"
लोगों ने आश्चर्य पूर्वक मुझे घूरकर देखा और पूछा"ऐसा आप किसलिए कहते हैं ?"
मैंने उत्तर में एक कहानी सुनाई-एक अन्यायी बादशाह ने एक धर्मात्मा फकीर से पूछा- "मेरे लिए सबसे अच्छी प्रार्थना ( इबादत ) कौन सी रहेगी जिससे मुझे ज्यादा से ज्यादा शांति मिले ।"
फकीर ने जबाब दिया-"तुम दोपहर के वक्त ज्यादा से ज्यादा सोया करो। यही तुम्हारे लिए सबसे अच्छी प्रार्थना होगी।" ___ बादशाह ने आश्चर्य के साथ पूछा-'ऐसा क्यों कह रहे हैं आप ?'
फकीर बोला-"इसलिए कि तुम जितनी देर सोते रहोगे उतनी देर लोग तुम्हारे जुल्म से बचे रहेंगे, और तब तुम्हें कुछ-कुछ शांति जरूर मिलेगी।" ___जब अधार्मिकों का सोते रहना अच्छा है, तो धार्मिकों का जागते रहना स्वयं ही श्रेष्ठ सिद्ध होगया। उन्हीं धार्मिक वृत्ति पुरुषों को जागरण का आह्वान करते हुए एक आचार्य ने कहा है
जागरह ! णरा णिच्चं जागरमाणस्स बड़ढते बुद्धी
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