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हेयोपादेय तत्त्व को जाने बिना मोक्षमार्ग में किसी की प्रवृत्ति नहीं हो सकती और उक्त विषयों को जाने बिना हेयोपादेय का ज्ञान नहीं हो सकता। अतः मोक्षार्थी के लिए अनेकांत, परिणाम, मोक्षमार्ग और उनके विषय जीव, अजीव आदि सात तत्त्वों का ज्ञान आवश्यक है।
प्रमाण निर्णय नामक इस लघुकाय ग्रंथ में आचार्य वादिराज सूरि ने जैन दर्शन का सार प्रस्तुत करते हुए गागर में सागर की उक्ति को चरितार्थ किया है। अतः मुमुक्षुओं के लिए यह ग्रंथ एक प्रकार का आलोक स्तम्भ ही है। यथा सम्भव विषय को स्पष्ट करते हुए ही मैंने अनुवाद करने का प्रयास किया है। फिर भी मेरी अल्पज्ञता के कारण कहीं कोई त्रुटि रह गई हो तो सुधी पाठक मुझे क्षमा करने तथा आवश्यक सुझाव देकर उपकृत करने का कष्ट करें।
डॉ० सूरजमुखी जैन
पूर्व प्राचार्य अलका ३५, इमामबाड़ा
मुजफ्फरनगर दिनाँक 13-7-2000
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