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बुन्देलखण्ड के जैन तीर्थ, साधु एवं उनकी कृतियाँ, जैन संग्रहालय, शोध संस्थान/ श्रुतभण्डार मनीषी/विद्वान एवं उनकी कृतियाँ, कवि एवं पत्रकार, जैन संस्थाएँ, इतिहास एवं भूगोल, स्वतंत्रता संग्राम सेनानी, राष्ट्रीय कार्यकर्ता, जैन शिक्षण संस्थाओं के उत्थान में पू0 क्षुल्लक श्री 105 गणेश प्रसाद जी वर्णी का योगदान आदि। २.वर्णी संग्रहालय:- पू० क्षुल्लक श्री 105 गणेश प्रसाद जी वर्णी ने जैन शिक्षण संस्थाओं के माध्यम से एवं अपने आदर्श त्याग निष्पहता से बुंदेलखण्ड धरा में जो योगदान दिया है। उसको भुलाया नहीं जा सकता। वे जैन समाज के बापू जी ही थे। उनकी स्मृति को अक्षुण्ण बनाने के उद्देश्य से वर्णी संग्रहालय बनाया जाना है। इस संग्रहालय में वर्णीजी के जीवन्त चित्रों की झांकियाँ उन संबंधी सम्पूर्ण साहित्य को रखा जावेगा। दानदातार स्वयं अथवा संयुक्त रूप से इस कार्य में सहभागी बन सकते हैं। ३.समाधि साधना केन्द्र :- समाधि की साधना में संलग्न मुनिसंघ एवं व्रतीपुरूषों के लिए संतप्रवास का उपयोग किया जावेगा। इन कक्षों का निर्माण इस प्रकार से किया जायेगा, जो साधक की साधना में अनुकूल रहें। ४. अनेकान्त प्रज्ञाश्रम भवन निर्माण - शोधार्थियों, विद्वानों के अध्ययन-अध्यापन एवं प्रवास हेतु 10 कमरों का निर्माण होना है। प्रतिकक्ष अनुमानित व्यय 31000 रूपये है। दानदातार एकमुश्त अथवा दो किश्तों में यह राशि प्रदान कर सकता है। कक्ष का निर्माण किसी की पुण्य स्मृति में भी किया जा सकता है। ५देशना मण्डप-श्रुतधाम में मुनिराजों की देशना सुनने एवं अन्य धार्मिक कार्यों के लिए इस मण्डप का उपयोग किया जावेगा। लगभग 5000 व्यक्ति एक साथ बैठकर धर्म श्रवण कर सकें। ६. अनुयोग मंदिर - श्रुतधाम के अन्तर्गत प्रत्येक अनुयोग से संबंधित शास्त्रों को विराजित करने के लिए एवं हस्तलिखित ग्रन्थों को विराजित करने के लिए पाँच खण्डों में निर्मित देश का प्रथम एवं अद्वितीय अनुयोग मंदिर निर्मित होगा। ७. अप्रकाशित ग्रन्थों का प्रकाशन - संस्थान में अनेक ऐसे ग्रन्थ उपलब्ध हैं कि जिनका सम्यक् सम्पादन होकर प्रकाशन होना चाहिए। यदि आप चाहते हैं तो एक ग्रन्थ का प्रकाशन आपकी ओर से हो। लगभग 51000 रूपये की राशि से अप्रकाशित ग्रन्थ प्रकाशित होकर ज्ञानदान के रूप में वितरित किया जावेगा।