Book Title: Pramana Nirnay
Author(s): Vadirajsuri, Surajmukhi Jain
Publisher: Anekant Gyanmandir Shodh Sansthan

View full book text
Previous | Next

Page 140
________________ श्रुत मोक्षलक्ष्मी पूजा स्कंध ज्ञान सरस्वती-पूजा ॐ साचाविस्तादापाये ImbaliNe/PLARIST Hellalithilsh पुंडामा।मि। 10103175 125000000 130000000 3ooooooo 11000000 2600 60000000 18000000 // केवल॥ ऋजू विपूल. देश"परम" सर्व. लोकबिंदू सारे क्रिया विशाले प्राणावाये कल्याणनाम ध्येये कर्म प्रवाद प्रत्याख्यान नामध्येये कर्म प्रवाद आत्मप्रवादे .सत्यप्रवादे ज्ञानप्रवादे अस्ति नास्तिप्रवादे वीर्यानुवादे 880000000 10 10000006 '26ooooooo 6000000 1999999 1600000 7000000 अग्रायणिये उत्पादपूर्वे पदसंख्या 10000000 जलगतायाम् 20989200 स्थलगतायाम् 20989200 000000000000000000000000000000000000000000000000000000000000000000000000.. परिकर्म 18105000 .. चंद्रप्रज्ञप्ति 3605000 सूर्यप्रज्ञप्ति 503000 जंबूद्वीप प्रज्ञप्ति 325000 द्वीपसागर प्रज्ञप्ति 5236000 / व्याख्या प्रज्ञप्ति 8436000 मायांगतायाम् 20989200 रुपगतायाम् 20989200 आकाशगतायाम् 20989200 पूर्वगते 955000005 प्रथमानुयोगे 5000 सूत्रेपद 8800000 द्रष्टिवादे 1086856005 विपाक सूत्रे 18400000 प्रश्नव्याकरणे 9316000 अनुतरौप पादिक दशांगे 9244000 अंतःकृशांग 2328000 उपासकाध्यनांगे 1170000 ज्ञातृधर्मकथांगे 556000 . च्याख्याप्रज्ञप्ति 228000 समवायांगे 164000 स्थानांगे 42000 सुत्रकूतांगे 36000 आचार्यागे 18000 एकदशांगे श्रुत पदानि 41502000 णमो अरिहंताणं। णमो सिद्धाणं। णमो आयरियाणं। णमो उपज्झायाणं। णमो लोएसव्व साहूणं॥ एसो पंच णमोक्कारो सव्व पावप्पणासणो। मंगलाणं च सव्वेसिं पढमं हवई मंगलं॥ द्वादशांगेश्रुतपदानि 1128358005 सर्व श्रुताक्षरसंख्या 18446744073700 प्रत्येकमध्यम पदाक्षरसंख्या 1634830788 पर्ययावधिज्ञानानी 20, अंगप्रविष्ठं 12, अंक इंद्रियानी 5, मनः१, अवग्रहादिनी 4. बहुबहुविधादिनी 12. मति सतम् श्रुतस्कंधवने विहारिणी अनेक शाखागहने सरस्वतीम् गुरुप्रवाहिन जडान 000000000000000000000000000000000000000000000000 श्रुतमपि जिनवरविहितं गणधररचितं द्वयनेकभेदस्थम् / अङगाङगबाह्यभावितमनंतविषयम् नमस्यामि। अर्हद्ववत्र प्रसूतं गणधररचितं द्वादशॉग विशाल। चित्रंबहवर्थ युक्तं मुनिगण वृषभैर्धारितंबुद्धिमद्भिः / / मोक्षानद्वारभूतं व्रतचरणफलं ज्ञेयभाव प्रदीपं / भक्त्यानित्यंप्रवेंद श्रुतमहमखिलं सर्व लोकैकसारं / / मुद्रक : सोलार ऑफसेट, जबलपुर फोन : 6519

Loading...

Page Navigation
1 ... 138 139 140