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साथ ही श्वासआहारादि का कार्य करते है । लेकिन पूरी निगोद के सभी जीवो का एक साथ मृत्यु नहि होता है उन्हें आवलिका का असंरव्यातवां भाग लगता है।
जिसकी सिराये | गांठ सांधे गुप्त हो तथा जिसके किसी अंश को काट के बोया जाय तो वह उग निकलता है । काटने से समभाग होते हो वह अनंतकाय की निशानी है ।
जिनकी सिरायें आदि दिखाई देती है वह प्रत्येक वनस्पति है जैसे - कोबीज ।
मूळ का जीव मूळ में व्याप्त होता है । फल का फलमें व्याप्त होता है थड का जीव थड में व्याप्त होता है, तो भी अक दुसरे से प्रतिबध्ध होनेसे अंत तक आहार पहोंचता है जैसे गर्भस्थ जीव को माता का । ० पद्म (कमल) आदि. के वृन्त हरी पत्ते और कर्णिका ये तीन में अक ही जीव होता है नाळबध्ध फूलो में असंख्य जीव होते है और हर पत्ती केशरा और बीज में अक अक जीव होता है। ० पापड के उपर श्वेत वर्ण की, गट्टरके आसपास काले वर्ण की निगोद होती है।
____ मध के अक बिंदु के भक्षण से 7 गांव को भस्म करने का पाप लगता है ऊंटडी व घेटी का दुध अभक्ष्य है (उपदेश प्रसाद) ० फल के उपर कठिन कडक त्वचा (चामडी) होती है अर्थात कठिया फल उसे अस्थिबन्ध कहते है। नालियेर, अखरोट, बदाम आदि... उसमें प्रायः ओक बीज होता है । ० ताड नालियेर और सरल आदि वृक्षो के थड में अक ही जीव होता
० फूल की हर पत्तीमें ओक ओक जीव होता है । वृक्ष के थड इत्यादि असंख्य जीवो से निर्मित होते है लेकिन सबका शरीर भिन्न-भिन्न होता है परन्तु ओक दूसरे से प्रतिबध्ध होने से एक जैसा लगता है । निम्ब का दन्तमंजन असंख्यात जीवो से व्याप्त होता है ।
पदार्थ प्रदीप