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105. वंदन के विरह में नुकशान 106. गुरू स्थापना के प्रकार 107. गुरू का अवग्रह 108. वंदन के स्थान 109. वंदन में गुरू के वचन 110. गुरू की आशातना 111. सुबह शाम के प्रतिक्रमण की संक्षिप्त विधि 112. दस प्रकार के प्रत्याख्यान 113. अद्धा प्रत्याख्यान के भेद 114. प्रत्याख्यान उच्चार विधि व चार भेद का आहार 115. आगार का अर्थ 116. विगई के नीवियाते 117. प्रत्याख्यान की शुद्धि 118. परिशिष्ट • कर्म संबधी विवरण 119. गुणस्थानक का परिचय 120. क्षयोपशम की विचारणा 121. कार्य के पांच हेतु 122. पाप विच्छेद के हेतु. 123. चार प्रकार के ध्यान 124. ज्योतिष्चक्र का विशेष विज्ञान - . 125. देव संबधी ज्ञान 126. सागर का नीर. 127. कोन ! कौन सी नरक में जा सकता है । 128. असंख्य व अनंत की संख्या का अंदाज
100. 101. 106.
108.
109.
111.
111. 112. 112. 113. 113. 114.
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पदार्थ प्रदीप
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