Book Title: Padarth Pradip
Author(s): Ratnajyotvijay
Publisher: Ranjanvijay Jain Pustakalay

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Page 63
________________ प्रसंगत विरह द्वार 7 नारक रूप 1 दंडक में सामान्य से 12 मुहूर्त । और हर नरक पृथ्वी में विचार करे तो प्रथम नरक पृथ्वी में 24 मुहूर्त दूसरी नरक पृथ्वी में - 7 दिन तीसरी नरक पृथ्वी में - 15 दिन चोथी नरक पृथ्वी में - 1 महीना पांचमी नरक पृथ्वी में - दो महीना छठी नरक पृथ्वी में • चार महीना सातवी नरक पृथ्वी में - छ महीना ० चार निकाय के देवो में सामान्य से - 12 मुहुर्त और भिन्न भिन्न विचारे तो 10 भवनपति में, व्यन्तर में, ज्योतिष में, 24 मुहुर्त का विरह है और वैमानिक देवो में सामान्य से 24 मुहूर्त का विरह है। ... 1-2 देवलोक में - चोवीश मुहूर्त तीसरे देवलोक में - 9 दिन 20 मुहूर्त चोथे देवलोक में - 12 दिन 10 मुहूर्त पांचमें देवलोक में - 22.1/2 दिन छठे देवलोक में • 45 दिन सातमे देवलोक में - 80 दिन आठमे देवलोक में - 100 दिन नवमे देवलोक में - 10 महीना दशमे देवलोक में • अग्यार महीना अग्यारमें बारमें देवलोक में - 100 वर्ष प्रायः प्रथम तीन ग्रैवेयक में - 1000 वर्ष के अंदर दूसरे तीन ग्रैवेयक में · लाख वर्ष के अंदर तीसरे तीन ग्रैवेयक में - क्रोड वर्ष के अंदर चार अनुत्तर में - पल्योपम का असंख्यातवां भाग पदार्थ प्रदीपED46.

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