Book Title: Padarth Pradip
Author(s): Ratnajyotvijay
Publisher: Ranjanvijay Jain Pustakalay

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Page 79
________________ 'যারা কা কাতা भरत क्षेत्र की चौडाई 526/6/19 योजन और पूर्व पश्चिम लंबाई 14471/5/19 योजन और हमारी वर्तमान पृथ्वी की परिधि 25000 माईल है । और पूर्व - पश्चिम व्यास 7926 माईल उत्तर दक्षिण 7900 माईल है अतः वर्तमान पृथ्वी का जंबुद्वीप के दक्षिण में आये भरत क्षेत्र के नीचे के तीन खंड में आराम से समावेश हो सकता है। . ___ अमेरिका में भारत से सूर्योदय होने में 10 घंटे का अंतर होने मात्र से उसे महाविदेह क्षेत्र नहि माना जा शकता, क्योकि जैसे दीपक प्रथम अपने समीप के क्षेत्र को प्रकाशित करता है, बाद में उसे आगे आगे ले चलते है तब पूर्व के क्षेत्र में अंधेरा होता है और आगे आगे प्रकाश फैलता है, उसी प्रकार सूर्य का तीर्छा प्रकाश ज्यादा से ज्यादा 47263-1/20 योजन तक फेलता है। अतः एवं निषध के पास जब सूर्य होता है, तब वह जापान को प्रकाशित करता है । धीरे धीरे भारत को , कलकता से बम्बई में सूर्योदय होने में अक घन्टे का फरक है इस लिए भारत से अमेरिका में 10 घन्टे का अंतर पडना स्वाभाविक है 'श्रीमंडलप्रकाश' नाम के ग्रंथ में भी लिखा है कि जब जिस स्थान में सूर्य उदय होता है तब उससे पीछे दूराई पर रहने वाले लोगो का सूर्य का अस्त काल आता है, किसि को पहला प्रहर किसि को दूसरा प्रहर किसि को रात्रि होती है, इस प्रकार विचारणा से अष्ट प्रहर तक भारत के किसी न किसी भाग में अवश्य सूर्य प्रकाश होता सूर्य भ्रमण से ही दिन • रात होते है, नहि की पृथ्वी के घूमने से क्यों कि पृथ्वी का घूमना नामुमकिन है, धरी आदि बात अयुक्त है पृथ्वी को लटु जैसी नहि मान सकते क्योकि लटु उपर पाणी टीकता नहि जब की पृथ्वी उपर तो पानी टीका रहता है। उसके लिये गुरूत्वाकर्षण की भी सहाय नहि ले सकते क्योंकि पदार्थ प्रदीप 620

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