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चार प्रकार की पच्चवरवाण उच्चार विधि (1) गुरु महाराज पच्चक्खाण देते समय पच्चक्खाई शब्द बोले (2) तब पच्चक्खाण लेने वाला पच्चक्खामि शब्द बोले । (3) जब पच्चक्खाण देते समय वोसिरई शब्द बोले । (4) तब पच्चक्खाण लेने वाला वोसिरामि शब्द बोले । विशेष • अपने मनमें जो पच्चक्खाण धार लीया है, वो ही प्रमाण बनता है, कीसी ने उपवास के बदले में आंबिल का पच्चक्खाण दे दिया, तो उपवास का ही प्रमाण माना जायेगा ।
चार प्रकार के आहार |
(1) अशन - मूंग, अडद आदि कठोल, घऊ, बाजरी, चावल आदि अनाज दूध, दही, राबडी, मिष्ठान आदि जिससे भूख शांत होती है, उसे अशन कहते है। (2) पान • छास की आश, जव का पाणी, चावल आदि का धोवण प्रक्षालन, फल आदि का पाणी, शुध्ध पाणी ये सब पान में आता है । (3) खादिम · जो चीज खाने से पेट नहि भरता है, केवल मन को संतोष होता है, उसे खादिम कहते है, जैसे खजूर, खारेक, नालियेर, सुकामेवा, चणा, ममरा इत्यादि । (4) स्वादिम - जिस चीज से केवल स्वाद का अनुभव होता है उसेस्वादिम कहते है, जैसे अलची, लविंग, केशर, सोपारी, वरीयाली, तज, सुंठ, मरी, जीरूं इत्यादि। अणाहारी चीज · गोमूत्र, गलो , कडु करियातु, अतिविष, राख, हलदर, त्रिफला, अलीओ. गुगल, कस्तुरी, अंबर आदि कारण से ये चीज उपवास में व रात को भी ले सकते है ।
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पदार्थ प्रदीप