Book Title: Padarth Pradip
Author(s): Ratnajyotvijay
Publisher: Ranjanvijay Jain Pustakalay

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Page 115
________________ 2. विस्पंदन • दही का तर व लोट ये दोनो से युक्त बनायी हुई कुलेर। 3. पक्वौषधितरित - औषधि (वनस्पति विशेष) डालकर उबाले घी उपर की तर। 4. किट्टि • उबाले घी पर जो मेल तरकर कचरा उपर आता है, उसे किट्टि कहते है। 5. पक्वघृत - आमला आदि औषधि डालकर उबाला हुआ घी, उसे पक्वघृत कहते है। ॥ तेल के पांच निवियाते ॥ 1. तिलकुटि · तल तथा कठीम गुड को खांडणी में इक्कट्ठा करके कूटकर एकरस बनाना । (उबाले हुए गुड के रस में बनायी हुई तल की सुखडी नीवी में काम आती है ।) 2. निभञ्जन - पकवान तल जाने के बाद कढाई में जला हुआ अथवा पुरी आदि तल जाने के बाद बढा हुआ तेल उसे निर्भञ्जन कहते है । 3. पक्वतेल • औषधि डालकर उबाला हुआ तेल । 4. पक्वोषधितरित - औषधि डालकर उबाला हुआ तेल पर जो तर आती है। 5. किट्टि • उबला हुआ तेल का मल | || गुड के पांच निवियाते ।। 1. साकर · जो काकरे जैसी होती है (साकर के गांगडे) 2. गुलवाणी · उबालकर तैयार किया हुआ इक्षु गुड का पाणी जो पुडा आदि के साथ खाया जाता है। 3. पक्कागुड - उबालकर किया हुआ पक्का गुड जो खाजा आदि के उपर लेप करने में आता है (गुड की चासणी) 4. सभी प्रकार की शक्कर 5. आधा उबाला हुआ शेरडी/इक्षु का रस । जिस को अर्ध क्वथित इक्षु रस कहते है। पदार्थ प्रदीपED98

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