________________
चित्र - ३
योग मुद्रा
(3) जिन मुद्रा - दो पैर के बीच में चार अंगुल का अंतर और पीछे थोडा कम अंतर रखना दो हाथ लटकते रखना तथा मन-वचन काया को स्थिर रख कर काउसग्ग करना उसे जिन मुद्रा कहते है, दीक्षा लेकर जिन भगवान प्रायः काउसग्ग मुद्रा में रहते है। मुद्रा आकार विशेष । चित्र - ४ मुक्ता सुक्ति मुद्रा
·
प्रणिधान त्रिक
प्रणिधान अर्थात् अशुभ, मन, वचन, काया का त्याग करके शुभ क्रिया
में मन वचन काया को जोडना लयलीन बनाना ।
-
-
(१) जाव॑ति चेइआई (२) जावंत केविसाहू (३) जयवीयराय ये प्रणिधान
सूत्र है ।
पदार्थ प्रदीप
70