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छूट को आगार कहते है । (1) उंची सांस लेना
(9) उल्टी होना (2) नीची सांस लेना
(10) सूक्ष्म शरीर चलाना (3) खांसी आना
(11) श्लेष्म का संचार होना (4) छींक आनी
(12) दृष्टि संचार होना (5) बगाई आना
(13) अग्नि का भय (6) ओडकार आना
(14) राज भय होना (7) पवन छूटना
(15) चोर भय (8) चक्कर आना
(16) सर्प डंश का भय होना ० इस सोल आगार में शरीर का हलन चलन होने पर भी काउसग्ग का भंग नहि होता है।
। काउसग्ग के 19 दोष ।
1. घोटक दोष - घोडे की तरह एक पैर उचा रखके काउसग्ग करना । 2. उध्धी दोष · दो पैर मिलाकर काउसग्ग करना । 3. निगड दोष - दो पैर फेला कर काउसग्ग करना । 4. लता दोष · शरीर को धूनाना । जैसे हवा से लता कम्पती है। 5. शिरकप दोष - मस्तक धनाना. हिलाना । 6. स्तंभादि दोष · थभे का या दीवार का सहारा लेकर काउसग्ग करना । 7. माल दोष • छत को मस्तक लगाकर काउसग्ग करना । 8. शबरी दोष • गुह्यभाग (गुप्त स्थान) पर हाथ लगाना । " 9. स्तन दोष - मच्छर आदि के कारण सीने पर वस्त्र ढकना । 10. संयती दोष - पूरे शरीर को ढककर काउसग्ग करना । 11. लंबुत्तर दोष - चोलपट्टे धोती को घुटने के नीचे तक पहनकर काउसग्ग करना ।
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पदार्थ प्रदीप