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चोवीश दंडक में 15 योग - 13 देवदंडक में - 11/ औ., औ. मि., आ., आ. मि. अलावा । 1 नारक में - 11 / औ., औ. मि., आ., आ मि. बिना 1 ग. तिर्यन्च में • 13/ आ., आ. मि. बिना 1 ग. मनुष्य में : 15 तीन विकलेन्द्रियमें - 4 औ., औ. मि., तै. का., असत्यअमृपा वचन 1 वायुकाय में - 5 औ., औ. मि., वै., वै. मि., का. | 4 स्थावर में : 3 औ., औ. मि., तै. का. I ..
चोवीश दंडक में 12 उपयोग) 1 ग. मनुष्य में 12 1 बेइन्द्रिय में - 5 1 नारक में - 9
1 तेइन्द्रिय में . 5 1 ग. तिर्यन्च में . 9
1 चउरिन्द्रिय में - 6 13 देवदंडक में . 9
5 स्थावर में 3 078228162,5142642,3759354,3950336 ये 29 अंक वाली संख्या गर्भज मनुष्य की है। .. असंज्ञी मनुष्य (सम्मूर्छिम मनुष्य ) जो मनुष्य के अपवित्र 14 स्थान में (मल मूत्रादि में) उत्पन्न होते है वो संपूर्ण जगत में अंसख्यात होते है । इस लिए ओक समय में उनकी उत्पत्ति असंख्य जितनी है और ये सम्मूर्छिम मनुष्य कितनी / कई बार तो 24 मुहूर्त तक बिल्कुल होते भी नहि है।
(चोवीश दंडक में अकसाथ उपपात च्यवन की संख्या ) 1 ग. तिर्यञ्च • संख्यात, असंख्यात 1 ग. मनुष्य • संख्यात 3 विकलेन्दिय · .." .. " 1 वनस्पति - अनन्त 13 देव दंडक में . "
4 स्थावर - असंख्य ० सभी का जघन्य काल • 1 समय है । ( 45
पदार्थ प्रदीप