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EUR Page ये दोनो पर्वत देवकुरू नामके क्षेत्र में है, ओक पूर्व व एक पश्चिम तरफ है। उंचाई - 1000 योजन, मूल में विस्तार - 1000 योजन, आकार गोल |
" यमक और समक पर्वत " इसका स्वरूप उपर की तरह है, लेकिन ये दो पर्वत उत्तरकुरु क्षेत्र में अक पूर्व में दूसरा पश्चिम में है।
[ २०० - कंचन गिरि
देवकुरु में पूर्व-पश्चिम दिशामें उत्तरकुरू में पूर्व-पश्चिम दिशामें प्रथम सरोवर की " 10-10 प्रथम सरोवर की " 10-10 दूसरे सरोवर की " 10-10 दूसरे सरोवर की " 10-10 तीसरे सरोवर की " 10-10 तीसरे सरोवर की " 10-10 चोथे सरोवर की " 10-10 चोथे सरोवर की " 10-10 पांचमें सरोवर की " 10-10 पांचमें सरोवर की " 10-10 ये पर्वत सुवर्णमय रंग के 100 योजन ऊचे भूमि पर है । और क्रमसर कम होते हुऐ शिखर के आकार के बनते है ।
चार गजदंत पर्वत । सौमनस विद्युत्प्रभ माल्यवंत गंधमादन स्थान कहा हे. देवकुरू के पासमें देवकुरू के पासमें उत्तरकुरु के पास उत्तरकुरू के पास दिशा - पूर्व में पश्चिम में पूर्व में पश्चिम में मूल - निषध के पास निषध के पास नीलवंत के पास नीलवंत के पास • अंत्यभाग मेरू के पास
मूल में पहोलाई . 500 योजन • अंत्यभाग में अंगुल का असंख्य भाग मूल में उंचाई . 400 योजन पदार्थ प्रदीप
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