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| अजीव तत्त्व ) ० अजीव के चौद प्रकार है । , धर्म · अधर्म और आकाश इन तीन के स्कंध, देश, प्रदेश तीन-तीन भेद =9/ और पुद्गल में परमाणु के साथ चार भेद 9+4=13 और एक काल का भेद + 14 भेद । स्कंध • वस्तु का सम्पूर्ण भाग । देश - वस्तु का विभाज्य भाग । प्रदेश - वस्तु से जुड़ा हुआ वस्तु का अविभाज्य भाग | १. धर्मास्तिकाय - लोक व्यापी तथा अरुपी है, तथा जीव पुद्गल जो गति में प्रवृत्त होते है उनको मदद करता है । 2. अधर्मास्तिकाय • लोक व्यापी । अरुपी तथा जीव पुद्गल जो स्थिर रहते है उनको मददरुप बनता है । 3. आकाशास्तिकाय - यह द्रव्य लोकालोक व्यापी है । यह सब द्रव्य को अवकाश-जगह देता है । जैसे दीवार में किलीका चली जाती है । अरुपी
4. पुद्गलास्तिकाय - जिस में परमाणु के आवन - जावन से वृध्धिहानि होती रहती है । वह पुद्गल है। शरीर, भाषा, मन आदि दिखाई देनेवाले सब जड पदार्थ पुद्गल द्रव्य है । इसमें परमाणु रुप चोथा भेद भी होता
5. परमाणु - मूल वस्तु से अलग (जूदा) पडा हुआ अविभाज्य भाग । 6. प्रदेश · द्रव्य से जुड़ा हुआ होता है । इतना ही दोनों में भेद है । '7. काल - वर्तमान एक समय रुप कालद्रव्य है । यह पुराना है, यह इससे
नवीन है एसी प्रतीति में उपयोगी होता है । हर समय नष्ट होता रहता • लेकिन उसकी काल्पनिक गिनती का संचय करके नये पुराने का व्यवहार पर्दाथ में होता है । मास वर्ष इत्यादि की कल्पना की जाती है । भूत, भावि समय विद्यमान न होने से काल का एक ही भेद है । पदार्थ प्रदीप
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