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12. स्पृष्टिकी क्रिया - राग भाव से जड - चेतन पदार्थ को स्पर्श करना । 13. प्रातित्वकी क्रिया - अन्य की रिद्धि-सिद्धि देखकर राग-द्वेष करना। राग - अरे !! क्या मस्त गाडी है । द्वेष - साला !! मेरे से पीछे आया तो भी गाडी खरीद ली...। 14. सामंतोपनिपातिकी क्रिया - अपनी रिद्धि की प्रशंसा सुनकर खुश होना। 15. नैशस्त्रिकी क्रिया · राजा की आज्ञा से दूसरे के पास शस्त्रादि करवाना। 16. स्वाहस्तिकी क्रिया - आपघात करना । दूसरे साधन या हाथ से किसीको पीटना । 17. आज्ञापनिकी क्रिया - आज्ञा करके पापव्यापारादि कार्य करवाना । 18. विदारणिकी क्रिया - जीव/अजीव फोटा आदि फाडना, कलंक लगाना । 19. अनाभोगिकी क्रिया - उपयोग बिना शून्य चित्त से कार्य करना । 20. अनवकांक्ष प्रत्ययिकी क्रिया - स्वं पर के हित का विचार कीये बिना उभय लोक विरुध्ध कार्य करना । 21. प्रायोगिकी क्रिया - मन-वचन-काया से अशुभ क्रिया करना । 22. सामुदानिकी क्रिया • समूह में मिलकर हिसादि पाप करना। (पिकनीक पोईन्ट पर किसी की मश्करी-उपहास करना) फिल्म में एक साथ खुश होना इत्यादि। 23. प्रेमिकी क्रिया - प्रेम/राग करना, या एसे वचन बोलना। 24. द्वैषिकी क्रिया · द्वेष क्रोध करना, द्वेष उत्पन्न होवे एसे वचन बोलना। 25. इर्यापथिकी क्रिया - मार्ग में गमनागमन करना, या केवल योग निमित्त से क्रिया करना ।
पदार्थ प्रदीपD 14