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गति आगति द्वारकी विचारणा
(1) नारकी के जीव -
गर्भज तिर्यञ्च एवं मनुष्य में आते है और
उसमें ही उत्पन्न होते है ।
(2) 10 भवनपति व्यन्तर, ज्योतिष, वैमानिक -
गर्भज तिर्यञ्च मनुष्य में से आते है, और गर्भ तिर्यञ्च मनुष्य एवं पर्याप्त प्रत्येक वन . / अप./ पृथ्वीकाय में गमन करते है ।
(3) पृथ्वी. / अप्. / वन. /विकलेन्द्रिय -
पृथ्वीकायादि 10 दंडक में से अपना रूप धारण करते है, इन दशो को अपना रूप समर्पित करते है।
(4) गर्भज तिर्यञ्च -
(5) गर्भज मनुष्य •
सभी दंडक में आवागमन करते है ।
सभी दंडक में पैदा होते है तथा तेउ / वायु.
विना 22 दंडक में से आते है ।
(6) तेउ. / वाउ.
पांच स्थावर / तीन विकलेन्द्रिय व गर्भज ति. में उत्पन्न होते है, और मनुष्य सहित उपरोक्त दंडक में से आते है ।
पदार्थ प्रदीप
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