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० कच्चे केळे सचित्त , पक्के केळे अचित, लुम्ब से सम्बध (जुडेहुए) होते है तो सचित्त , ओर लुम्बसे अलग (छूटे पडते) हो तब अचित्त लुम्बसे केळा तोडने के बाद दो घडी के बाद काम आता है । हरी लुम्ब सचित्त होती है । और काली पड़ने पर अचित्त हो जाती है । केलो को भट्ठी की गर्मी से पकाय जाता है ।
वनस्पति सजीव है, वह तो उसकी वृद्धि आदि से प्रत्यक्ष दिखता है।
सूक्ष्म जीव जिनको चर्म चक्षु से देखना अशक्य हो तथा जिसका छेदन भेदन असंभवित है । उससे विपरीत जो एक या अनेक शरीर मिलने पर दिखाई दे, वे बादर जीव है, पृथ्वीकाय आदि पांच सूक्ष्म बादर दोनो प्रकार के होते है। ० सूक्ष्म निगोद का स्वरूप - चौद राज में निगोद के असंख्य गोले है, प्रत्येक में असंख्यात निगोद शरीर है और एक एक शरीर में अनंत जीव है। इसमें जो कभी भी बहार नहि निकले वे जीव असांव्यवहारिक है और जो एक बार भी बहार निकल जाय उसे सांव्यवहारिक कहते है। ० जाति भव्य हमेशा सूक्ष्म निगोद में ही रहते है ० पूरा लोक पांच प्रकार के सूक्ष्म जीवो से भरा हुआ है । इनका आयु अंतर्मुहूर्त ही होता है। ० शंखादि बेइन्दिय जीव है । चिट्टी आदि तेइन्दिय जीव है। भ्रमर, शलभ, टिड्डा आदि चउरिन्द्रिय जीव है । यह सब सम्मूर्छिम होते है । पंचेन्द्रिय चारो गति में होते है।
नारक पृथ्वी से नारक के सात भेद बनते है, नीचे नीचे की पृथ्वी में दुःख ज्यादा होता है। ० नरक में मुख्यता से दश वेदना होती है । (1) शीतवेदना • ठण्डी इतनी ज्यादा होती है कि वह नरक का जीव हिमालय में आरामसे सो जाय ।
पदार्थ प्रदीप