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एक एक टुकडे के पृथ्वीकाय के शरीर समान असंख्य भाग की कल्पना करे, फिर उसमेंसे सो साल के बाद एक वालाग्र का कल्पित टुकड़ा निकाले, इस प्रकार पूरा खड्डा खाली होवे तब ओक अद्धा पल्योंपम होता
है।
० दस कोडाकोडी पल्योपम सूक्ष्म अद्धा सागरोपम..
(अक अंगुली लम्बे पहले क्षेत्र में 20,97, 152 वालाग्र आते है ) ० ओक ओक समये कल्पित अंश को निकालते सूक्ष्म उध्धार पल्योपम होता है ।
• ढाई उध्धार सागरोपम के समय की संख्या प्रमाण द्वीप समुद्र है । वालाग्र से स्पृष्ट आकाश प्रदेश को निकालने में जितने समय लगे उतनी संख्या का एक सूक्ष्म क्षेत्र पल्योपम होता है. ।
० अकेन्द्रिय जीव निजीरूप में असंख्याती उत्सर्पिणी अवसर्पिणी तक उत्पन्न हो सकते है इसे स्वकाय स्थिति कहते है ।
० विकलेन्द्रिय की स्वकाय स्थिति संख्याता भव है ।
• पंचेन्द्रिय तिर्यञ्च मनुष्य की स्वकाय स्थिति में 7/8 भव है ० देव नारक की स्वकाय स्थिति नहि होती है ।
जीव के दस द्रव्य प्राण है । 5. पांच इन्द्रिय 7. श्वासोश्वास
9. वचनबल 10. मनबल
० स्थावर में - स्पर्शेन्द्रिय, कायबल, आयुष्य, श्वासोश्वास ये चार द्रव्य प्राण होते है ।
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० बेइन्द्रिय में रसनेन्द्रिय और वचनबल मिलाने से छ प्राण जैसे की भमरादि गुंजन करते है इस लिए उन में वचन बल माना गया है ।
• तेइन्द्रिय में - घ्राणेन्द्रिय युक्त करने से सात प्राण • चउरिन्द्रिय में - चक्षुरिन्द्रिय मिलाने से आठ प्राण
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• असंज्ञी पञ्चेन्द्रिय में - श्रोत्रेन्द्रिय मिलाने से नव प्राण ० संज्ञी पञ्चेन्द्रिय में मन बल मिलाने से दस प्राण
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6. आयुष्य
8. कायबल
पदार्थ प्रदीप