________________
नीतिशास्त्र के इतिहास की रूपरेखा/ 17 विवेचना में स्वाभाविक नियमों का प्रत्यय प्रमुख बन गया और इसे सरलतापूर्वक एवं स्वाभाविक रूप से नैतिकता में बौद्धिक तथ्य के प्रतिनिधित्व के हेतु स्वीकार कर लिया गया। यह श्रुति एवं आगम से स्वतंत्र था। यह सत्य है कि वे स्वाभाविक नियम, जिनका सम्बंध दार्शनिक विधिवेत्ता से है, सिवाय उन कृत्यों के, जो कि दूसरे के
औचित्यपूर्ण दावों की पूर्ति के लिए अपेक्षित हैं, उचित आचरण से सम्बंधित नहीं है। अतः नैतिक नियमों के एक भाग को जोड़ कर सभी नैतिक नियमों का स्वभाविक नियमों से तादात्म्य करना उचित नहीं होगा। यद्यपि स्वाभाविक नियमों का यह भाग इतना अधिक महत्वपूर्ण एवं आधारभूत है कि मध्यकालीन और आधुनिक युग के प्रारम्भिक विचारकों ने अक्सर पूर्वोक्त विभेद को कोई महत्व नहीं किया है अथवा उसे गौण ही माना है। सामान्यतया बुद्धिगम्य बाह्यआचरण के नियामक स्वाभाविक नियमों का प्रत्यय नैतिकता का न्यासी ही मान लिया गया था। नैतिकता का उद्गम
मुख्यतया नैतिकता के इस विधिक दृष्टिकोण के सम्बंध में नैतिक विवेक शक्ति के मूल स्रोत की खोज ने आधुनिक युग के नैतिक चिंतन में महत्वपूर्ण स्थान प्राप्त कर लिया है। अभी तक मनुष्य में निहित उस शक्ति को, जो कि उसका नियमन करती है अथवा जिसे मनुष्य का नियामक होना चाहिए, यथार्थ शुभ और उसके मुख्य कारकों एवं शर्तों को जानने की शक्ति माना जाता रहा हैं जिस प्रकार एक ज्यामिति विज्ञान-वेत्ता के लिए दिक्के प्रत्यय के मूलश्रोत की खोज अधिक महत्वपूर्ण नहीं है उसी प्रकार एक नीतिवेत्ता के लिए नैतिक विवेक शक्ति के मूल स्रोत की खोज भी महत्वपूर्ण नहीं है, किंतु जब नैतिक विवेक शक्ति को उस अंतरात्मा के रूप में मान लिया जाता है, जो कि कर्ता के प्रकट हितों से निरपेक्ष एवं निरपेक्ष रूप से पालनीय नियमों की ज्ञाता है एवं जो मानव में निहित एक विधि निर्मात्री शक्ति है तथा जो समस्त कर्म स्रोतों से ऊपर उठकर निर्विवाद एवं निरूपाथिक प्रभुत्वका दावा करती है, तो यह स्वाभाविक ही था कि उसके दावे की वैधता को चुनौती दी जावे और उसकी सूक्ष्मता से छानबीन की जावे। इस प्रकार यह समझ पाना कठिन नहीं होगा, कि किस प्रकार वैधता नैतिक विवेकशक्ति की मौलिकता पर निर्भर करती है। वस्तुतः नैतिक विवेक शक्ति उसी योजना का एक अंग है, जिससे मूलतः मानव प्रकृति का निर्माण हुआ है। इसीलिए असभ्य मनुष्यों, बालकों और यहां तक कि पशुओं की नैतिक स्थितियों की खोज को तथा आत्मिक विकास के थोड़े बहुत काल्पनिक सिद्धांतों