Book Title: Nandanvan Kalpataru 2002 00 SrNo 08
Author(s): Kirtitrai
Publisher: Jain Granth Prakashan Samiti
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(मालिनीवृत्तम्) विशदजलजलक्ष्मन् ! नीलरलोरुधामन् !
सुभग ! जिनप ! नेमे ! प्रौढपाथोदशब्द ! । कनककमलमालाचुम्बितं तेऽह्रियुग्मं
भवतु भवतुदे मे भीमकान्तं प्रशान्तम्
૬ો
पत्रफलपुष्पलक्ष्म्या, कदाप्यदृष्टं वृतं च खलु शूकैः । उपसर्पम भवन्तं, बब्बुल ! वद कस्य लोभेन? ॥
(जगन्नाथः)
कण्टकमयसम्पत्त्या, सम्पन्नं तीक्ष्णतागुणापन्नम् । पत्रफलिनीयुतं त्वां, बब्बुल ! करभाः कथं जाः ? ॥ (प्रतिकाव्यम्)
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