Book Title: Khartargaccha Sahitya Kosh
Author(s): Vinaysagar
Publisher: Prakrit Bharti Academy
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६४१७. सत्यरत्न / जिनचन्द्रसूरि, जिनकुशलसूरि स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, 'आदि
आज मानूं दरसण... गा. २', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. ३७० ६४१८. सत्यरत्न / जिनचन्द्रसूरि, जिनकुशलसूरि स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, 'आदि
कुशल सूरिंद गुरु... गा. ४', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. ३७० ६४१९. सत्यरत्न / जिनचन्द्रसूरि, जिनकुशलसूरि स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, 'आदि
कुशल सूरिंद सुखकारी... गा. २', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. ३७० ६४२०. सत्यरत्न / जिनचन्द्रसूरि, जिनकुशलसूरि स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, 'आदि
कुशल सूरिंदा गुरु... गा. ५', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. ३७१ ६४२१. सत्यरत्न / जिनचन्द्रसूरि, जिनकुशलसूरि स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, 'आदि
गणधर सेवे गुरु... गा. ५', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. ३७१ ६४२२. सत्यरत्न / जिनचन्द्रसूरि, जिनकुशलसूरि स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, 'आदि
दरसण दीजे राज... गा. ५', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. ३७१ ६४२३. सत्यरत्न / जिनचन्द्रसूरि, जिनकुशलसूरि स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, 'आदि
भाव भगत धरी... गा. ५', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. ३७२ ६४२४. सत्यरत्न / जिनचन्द्रसूरि, जिनकुशलसूरि स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, आदि-मैं
निरख्यां गुरु... गा. ५', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. ३७२ ६४२५. सत्यरत्न / जिनचन्द्रसूरि, जिनकुशलसूरि स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, 'आदि
मोतीड़े तूठा मैं... गा. ५', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. ३७३ - ६४२६. सत्यरत्न / जिनचन्द्रसूरि, जिनकुशलसूरि स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, 'आदि
श्री सद्गुरु जिनकुशल... गा. ५', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. ३७३ ६४२७. सत्यरत्न / जिनचन्द्रसूरि, जिनकुशलसूरि स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, 'आदि
श्री सद्गुरु महाराज... गा. ५', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. ३७४ ६४२८. सत्यरत्न / जिनचन्द्रसूरि, जिनदत्तसूरि स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, 'आदि
आनन्द रङ्ग बधाई... गा.५', मु., दादागुरु भजनावली, पृ.१०१ ६४२९. सत्यरत्न / जिनचन्द्रसूरि, जिनदत्तसूरि स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८६९, 'आदि
___ परचा जग सगले... गा. ७', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. १०१ ६४३०. सत्यरत्न / जिनचन्द्रसूरि, शांतिनाथ जिनालय प्रतिष्ठा स्तवन कलकत्ता, गीत स्तवन,
हिन्दी, १८७१, आदि-शान्ति जिणंदजी की मोहनी... गा. ९', मु. पूजा संग्रह ६४३१. सदानन्द पाठक, पार्श्वनाथ स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, आदि-मोरा पास जिनराय...
गा. ५', अ., ह. रा.प्रा.वि.प्र., जोधपुर ३१२२५ (२३५)
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खरतरगच्छ साहित्य.कोश For Personal & Private Use Only
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