Book Title: Khartargaccha Sahitya Kosh
Author(s): Vinaysagar
Publisher: Prakrit Bharti Academy
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४६०१. मन मां हुं हुंती घणी रे लाल... ५८६४. मनमोहनगारो सांम सही.... ३५२२. मनमोहन जग जीवननाथ... ४५६०. मनमोहन पास सुहामणा... ३५७४. मनमोहन प्रभु पास जिणेसर ... ३५७५. मनमोहन महाराज ...
५९४३. मनमोहन महिमा महिला निलउ ... ४२६३. मनमोहन महिमा निलउ रे.... ५७२३. मनमोहन महिमानिलौ... ४८०० मनमोहन मूरति जोवतां... ४११९. मनमोहन स्वामी नमूं ... ४३४७. मन मोह्यउ हे सखि गरुयइ... ४७८५. मन मोह्यं रे श्री. चिन्तामणि पास... ६३४०. मन मोह्यौ स्याम जिन मूर..... ४७५३. मनरा मानीता साहिब पास जिणंदा... ४८५८. मन रामानीता साहिब वंछित पूरउ... ४७५४. मन रा मान्या साहिब मोरा.... ४३२४. मन रे तूं छोरि मायाजाल... ४६७७. मन रे प्रीति जिणंदसुं कीज .... ५६६५. मन लीनउ हो....
४६५०. मन वंछित कमला आइ मिलइ .... ४१३१. मन वंछित काज...
५०९४. मन वंछित पूरण.... ५६३७. मन वंछित सुख पूर.... ३१७२. मनवा कर कर मौज सुं रे..... ६९८५. मनसा मोही कै मनमानी. ४१७३. मन हरखित...
६७५४. मना तने कई रीते समझावुं... ५४५२. मनि सुविवेकी चिंतवइ... ३२५१. मनुऔ मेरी बावरो रे...
६७५८. मरण तणउ भय म करि मूरख नर.... ६७५९. मरुदेवी माता जी इम भणइ... ५६१३. मरुधर देसे मण्डणो बीकानेर.... ५२४३. मरुधरै देस महाराज मोटों... ४८२६. मल्लि जिणेसर वाल्हा तुं उपगारी ... ७१३५. मसूर पठाण...
४२४०. महतित्थ सत्रुंजय....
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४४३४. महर करौ गौडीचा धणी.... ५६१४. महल दिउ गिरुवा गुरु महिर ..... ४२३१. महल बड़ौ सिगलां मन मोहै..... ७००९. महाज्ञानी ध्यानी... ७१३९. महा मुनीसर.... ५२७५. महा मौड मुरधर तणा... ६७६३. महावीर मेरउ ठाकुर..... ३२९०. महाराज मेरे संग भए है...
३४६४. महा हरस... ७१३१. महिमा तेरी सब से... ५१७५. महिमा तो थांरी....
६०११. महिमा तो थांरी... ४००९. महिमा निधि... ५२८७. महिमा मोटी त्रिभुवन मांहे... ५२८०. महिमा मोटी महीयलै... ५२५९. महिमा मोटी महीयलै हो... ४०१०. महियल जिन तीरथ बड़ौ ... ५४५१. महिर करो महिर... ५०४९. महिर करो मुझ ऊपरै.... ५८५०. महिर करो मुझ ऊपरै ...
३१७३. महिर करौ महाराज चिंतामणि...
३२०९. महिरवान महाराज... ४०५३. महिरवान महि मुकुटमणि... ३१२६. मां अंबाई तो दरसण थी.... ५७७८. माई एं संसार...
५७८७. माई धन धन ....
४९८०. माई मत खेले तूं माया रंग... ५५७७. माई मति करो क्रोध... ६२५१. माई मेरे सांवरी सूरत सूं प्यार..... ७०३५. माई मेरो मन तेरो नन्द हो... ४१५२. माई रंग भर खेलेगें धमाल... ६२८९. माई श्रीजिन...
५१५३. माता सरसति मिहर कर... ३९२०. मानवभव पामी करीजी..... ५४०७. मानो तो ये जगतारक... ६७७४. माया कारमी रे माया न करो... ४८३२. माया धूतारी मोह्यो मानवी रे....
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तृतीय परिशिष्ट
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