Book Title: Khartargaccha Sahitya Kosh
Author(s): Vinaysagar
Publisher: Prakrit Bharti Academy
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६८६७. स्वामि तारि नइ रे मुझ परम दयाल.... ७००१. स्वामी मेरे गुरुदेवा.....
६३४४. हां रे सामि मेरा वामानन्दन वालहा... ५४१९. हाल हुए बेहाल....
३९१८. स्वामी रिसहेसरु... ४५५०. हइ सबको स्वारथ... ५६२९. हथिणाउर पुरनो धणी ....
६६३६. हां हमारइ परब्रह्म ज्ञान.... ६७६२. हां हमारे वीरजी कुण रमणि एह... ६४५१. हां हो एक तिल दिल में आवि तुं.... ६८०९. हां हो जिनधर्म जिनधर्म सउ कहई ...
५६६३. हपि हमारी ल्याउ वे.... ३६३५. हमकूं शरण तिहारी ... ५५७५. हम तो तुहारे श्याम... ४३४२. हम तुम्ह वीर जी क्युं प्रीति...
५५०४. हम मिलकर... ५४९२. हम वन्दन करते... ४२४८. हमारइ माइ कंत दिसावर ... ५०१९. हमारी अंखियां अति उलसानी... ४४६२. हमारै माई इण जिनवर सुं प्रेम...
६५९७. हां हो जीव दया धरम बेलड़ी... ३८३८. हां हो रे देवा... ३२६८. हां हो लाल परनाली सें परै नीर नीर... ६६२१. हां हो, संयम पथ किम पलइ... ४१५६. हियड़े उल्लहि... ५८०८. हियाली इक सांभलौ... ४२५२. हिलि मिलि साहिब कउ जस.... ६६७५. हिव राणी पदमावती... ४८२४. हिवे त्रीजउ मंगल गाईये.... ५३६३. हुं तो तेरी मोहि रे प्यारे..... ३२५२. हुं तों न रहुं तुहारा मंदिर में.... ५२४४. हुंतौं जसवंत तां थोक ....
७०६९. हरखई प्रभु गुरु प्रणमी करी... ४२२५. हरख आज पायउ हो.... ६६९६. हरख धरि हियड़इ मांहि अति घणउ ...
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७०५३. हरखं धरी म्हें आवीया रे... ३१२४. हरख सुं अनुभव होरी आई.... ६३६१. हरखि पास जिणंद पसाइयइ... ६८६१. हरखिया सुरनर किन्नर सुन्दर .... ४६६७. हरखे किस्युं गमार देश धन... ४८९४. हरिकेशी मुनि वंदिये.... ५४६४. हरिहर बहु पर जोइया ... ४४८३. हस हस इण रस खेलूंगी....
६६७९. हुं हमारे परब्रह्म ज्ञानं... ३४५८. हूं तो अरज करूं कर..... ४६६९. हूं तो आयो भाव.... ३३४६. हूं तो थांरा दर्शन.... ४१७४. हूं तो मोही रह्यो जी.... हूं बलिहारी जाऊं तेहनी....
६६७६.
५७४९.
५६५३. हस हस इन रङ्ग खेलूं... ३२५६. हसि हसि खेलूं होरी री... ५५११. हां जी वामाजी को ध्यावो.... ६८५४. हां बाई हर कोउ मोख मुगति पावइ...
हूं बलिहारी रे माइ... ५७९६. हूं बलिहारी हो थांरी..... ३९०२. हे अशरण शरण... ६१९६. हे कुशल करण गुरु....
६१९०.
गुरु मेरी कृपा.... ५०६५. हे गुरुवर तमे...
६४८८. हां माई करम थी को छूटइ नहीं.... ६३३४. हारे मारे जिणंद रा तेरी सूरत..... ६५०२. हां मित्र म्हारा रे चालउ उपासरइ... ३५८५. हारे गवडीपुर मंडण स्वामी... ३९३३. हारे मारे दीवाली दिन आव्यो सजनी जाणवो.....
५०८१. हे चन्द्रसूरि ..... ६२१३. हे चन्द्रसूरि.... ५०२६. हे जिनराय सहाय करौ यूं... ३३७८. हे जी मेरे प्यारे.....
५९१०. हाँ रे मोरा आदि जिणंद देव... ६२५९. हां रे मोरा लाल सिद्धाचल.... ३४३२. हारे म्हांने राखोरे प्रभु...
७००२. हे ज्ञान दीप... ६२८०. हे पार्श्वप्रभो मेरे दिल के विभो .... ६४४५. हे बहिनी महारउ जोयउ सिणगार है...
खरतरगच्छ साहित्य कोश
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