Book Title: Khartargaccha Sahitya Kosh
Author(s): Vinaysagar
Publisher: Prakrit Bharti Academy

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Page 688
________________ ४०८२. सुमति जिणेसर देव जी... ३२२८. सुमति भज हो कुमति तज हो... ३८८९. सुर असुर इन्द चन्द... ४०७६. सुर असुर किन्नर... ४३०५. सुर नर किन्नर राय आज्ञा हो... ३११६. सुर नर माहे जिनजी सिर दादो... ५१०५. सुरपति नत देव अनित गुणी... ५७९१. सुरियाभ सुर नृत्य करह... ४४६३. सुरि सिरोमणि गुणनिलो... ५०९५. सुर्यदेवी प्रणमूं सही... ४०६७. सुललित कामण वीनवइ... ३८७५. सुललिय वर लावण्ण... ६०१७. सुवचन सूंपो सारदा... ४०८३. सुविधिजिन सांभलौ... ३८७९. सुविहाणं जइ आज मई. ६२०८. सूखे चमन में... ७०६६. सूरिज ऊगमतै नमूं... ५७६२. सूधई मन प्राणी सुणउ... ५२४७. सूधे मन प्रणमो दस श्रावक... ६५८७. सूयटा सोभागी कहि किहां सुगुरु दीठा... | ३५१८. सूरति स्वामी तुहारि वो... ४५४३. सूरियाभ नाटक सुं करे... ४१८८. सूहब सूहब वधावो पूजजी मोती ए... ६६१४. सेर्जेजे ऋषभ समोसस्या... ५०३१. सेजे साध अनंता सीधा... ५५५०. सेवउ सेवउ अहनिशि... ६१८१. सेवक नी अरदास सुणीजे... ४२२७. सेवक साहिब एक राजी... ४३७८. सेवकां निवाजे हो... ५७६९. सेवियइ सुखकर शान्ति... ३१०५. सेवो चन्द्रप्रभ सामि हो... ४४५२. सेवो चित लाई... ५२९३. सेवो भाई सेवो भाई शान्तिजिन सेव रे... ६५१२. सेवो श्री चन्द्रप्रभ स्वामी... ५५५२. सेवो सुखदातार... ३०९५. सेवो सुगुरु सुखदाय... ४४११. सेवो सेवो अहनिशि आदिदेव... ५२९०. सैजै नायक वीनति सांभलौ... ५५८३. सैयां मोरी पास जिणंद... ४४४३. सैयां मोरी वन्दन... ६६३३. सोइ सोइ सारी रयणि गुमाइ... ४९८५. सोई ढंग सीख लै... ५७२०. सोगुरु जो मो मन समझावइ... ६८१८. सो जिनवर कहउ मोहि... ३६००. सो प्रभु मेरे वीर जिणंद जयो... ५३२१. सोभत गुण सागर है बुद्धि को उजागर... ३७०६. सोभागी गुरु माहरउ... ६३५४. सोभागी जयकार नवपद वंदो रे... ४२३३. सोभागी सिर सेहरउ... ३६०१. सोलम जिनवर शांतिनाथ... ३९९१. सोलम जिनवर सेवियइ... ४८६४. सोलम संतीसर राया रे... . ६५६१. सोल शृङ्गार करइ सुन्दरी... ४५४६. सोल सति ना नाम जपु नित... ३८९७. सोलह पंचवीसइ समइ.... ४२७७. सोवन की बरीयां ना ही बे... ३८८५. सोहग सुंदर सविहिं रूडउ...' ३८३७. सोहे गुरु नगर महेवा... ६६६६. सौरीपुर जात्र करी प्रभु तेरी... ६८८४. स्थूलभद्र आव्यौ रे आसा फली... ४३५९. स्थूलिभद्र न्यारी भांति तिहारी... ६३७४. स्यादवादमत श्रीजिनवर... ६७३१. स्यामल वरण सुहामणो रे... ४७०९. स्युं कीधउ इण जादवइ मां मोरी रे... ४६९४. स्वस्ति श्री जिनपय प्रणमी करी... ४८१७. स्वस्ति श्री प्रभु प्रणमीयें... ३९१९. स्वस्ति श्रीमङ्गलकरण... ३९७४. स्वस्ति श्री सम्पद करण... ७०६२. स्वस्ति श्री सुखकर प्रथम जिनेश्वर... ६३२४. स्वस्ति श्री सुखकरण... ३२३३. स्वस्ति श्री सुखदायक... ३९६५. स्वस्ति श्री सुख सम्पदा... ५१३८. स्वस्ति सीमंधर परम... ६८८५. स्वारथ की सब हइ रे सगाई... ६१८ Jain Education International तृतीय परिशिष्ट www.jainelibrary.org For Personal & Private Use Only

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