Book Title: Khartargaccha Sahitya Kosh
Author(s): Vinaysagar
Publisher: Prakrit Bharti Academy

View full book text
Previous | Next

Page 687
________________ ३४५२. सुगुरु बंधावउ सूहब मोतियां... . ५३२८. सुगुरु मुणिंदा हो... ३४२४. सुगुरु मेरइ... ५९०४. सुगुरु मेरउ कामित कामगवी... ३४४७. सुगुरु मेरइ चिरि जीवउ सउसाल... ३३७५. सुगुरु मेरी नैया... ४४५९. सुगुरु मेरी हो सद्गुरु पूरण... ४०३७. सुगुरु मेरो... ६७७६. सुग्रीव नगर सोहामणुं रे... ६०१९. सुजस तुम्हारौ सांभलि हो... ५९८५. सुजस तुम्हीणो सांभल्यो रे लाल... ३३७६. सुज्ञानी लाल चरणां... ६५८५. सुणउ री सुणउ मेरे सद्गुरु वयणा... ६४०३. सुणउ रे सुहागण हो कहई... ४६०७. सुण जिनवर सेजुंजा धणी रे... ७१४३. सुणजो पंडित एक हियाली... ३११५. सुणजो स्वामी मोरी वीनती... ३८९८. सुण मनवा गुरु... ३४१४. सुण रे पंथिया कब आवइ गच्छराज... ३३७७. सुण सजनी रजनी... ४३३९. सुण सुण वीनतड़ी... ४४१०. सुण सुहटड़ा... ५५३९. सुण सुहटड़ा... ४२९९. सुणहु हमारी सीख सयाणे... ५२६१. सुणि अरदासा सुगुण निवासा... ४८३०. सुणि जिनवर चउवीसमाजी... ५४१५. सुणिजो अरज... ६१०९. सुणि तूं सजनी वतिया मोरी रे... ४६०२. सुणि प्राणी रे तुझ कहुं एक बात... ४२४७. सुणि बहिनी प्रिउड़उ परदेसी... ६२६४. सुणि म्हारी अरदास रे... ४६७९. सुणि रे चंचल जीवड़ा... ४८५४. सुणि शत्रुञ्जय ना सामि रे... ४६३५. सुणि शत्रुञ्जय सामी रे... ५३२७. सुणि सुणि जीवडा रे कयउ करीजई... ४१३८. सुणि सुणि सेनूंजगिरि स्वामी... ५३७४. सुणि सहियर मुझ वातडी । ४७७१. सुणि सोभागी साहिब रे लाल... ४२२२. सुणी कामिनि कहइ केत... ३९५९. सुणो सुणो जी जिनवर जी... ५५३०. सुद्धि ऋतु रुचि फूल भरी... . ५८३५. सुधन दिन आज जिन समुद्रसूरिंद आयो... ३२८४. सुध समकित सद्गुरु दरसायो... ३१९०. सुध समकित सहिनाणी आयौ... ३१२८. सुधि साजनजी करम लाग्या छै... ४५१६. सुध्रम गण विधि संघ... ६०२५. सुन मनवा गुरु... .. ५८१६. सुनिजर कीजै जो... ६२४५. सुनिजर ताहरी देखिनइं रे... ३५३८. सुनियै रै प्राणी जिनजी की वाणी... ६३४६. सुनीयो सुनीयो सुगुण लोक... ३२०२. सुनो री सखि ऐसे रमो होरी... ३९९३. सुनो शिवपुर स्वामि अन्तर्जामी... ६१९५. सुनो सुनो ए दुनिया.... ४९१४. सुनो सुनो कुशल... ६२२१. सुनो सुनोजी... ६०५९. सुन्दर मूरति... ४५४१. सुन्दर मूरति अजब दीदार... ६२५२. सुन्दर रूप अनूप... ४७७२. सुन्दर रूप अनूप मूरति सोहइ हो... ६५८६. सुन्दर रूप सुहामणउ रे... ६८२०. सुन्दर रूप सुहामणो... ४८८७. सुन्दर वेस लवेस अनोपम... ५५५४. सुन्दर शोभित... ६७९४. सुपन लघु साहेलडी रे... ६०१६. सुप्पाडे अनाडां झाडां... ५७७५. सुप्रन्न होई माई... ५७८८. सुबाहु सांभलौ जी... ७०२९. सुभ गति नाचत है सुरनारी...' ३७११. सुभ दिन आज बधाई... ३२९२. सुमत सुहागण राय चेतन भल... ६९७०. सुमतिकरण सारद सुखदाइ... ४०५२. सुमति गुपतिसुं मुनिवर विहरइ... ५१९३. सुमति जिणंद सुमति दातार... खरतरगच्छ साहित्य कोश Jain Education International ६१७ For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 685 686 687 688 689 690 691 692