Book Title: Khartargaccha Sahitya Kosh
Author(s): Vinaysagar
Publisher: Prakrit Bharti Academy

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Page 669
________________ ३१२०. भांगडली आज भली आई... ३२७३. भंगडली आज भली आई... ३२६५. भाद्रव इम मन भावै... ३२५३. भाद्रवडौ मन भावै... ३२५४. भाद्रवडौ मन भावै... ६७२१. भाभउ पारसनाथ मंइ मेट्यउ. ६७२२. भाभा पारसनाथ भलुं... ६४१४. भाया भक्ति से पूर... ६४६१. भरत नइ द्यइ ओलम्भडा रे... ५३१२. भारती भगवती रे.... ६६१५. भारवाहक नइ कया भला... ४७५१. भावइ पूजउ जी दोहिलउ नरभव... ५७५९. भावइ हो भरतेश्वर भावना... ३४७०. भाव धरी ऊमया नमुं... ४३३६. भाव धरि धन्य दिन आज... ५७१८. भावन भरत नरेसर भावती... ६७५०. भावना भावजो रे भवियां... ६७४४. भावना मन बार भाउ... ६४५६. भावना मनि सुद्ध भावउ... ६४२३. भाव भगत धरी... ५४८५. भाव भगति करी भेटियइ रे लाल... ४३३४. भाव भगति धरि आवउ सहिअरि... ४३४३. भाव भगति धरि आवउ सहियरि... ६७४७. भाव भगति मन आणी घणी... ५७०२. भाव भलइ प्रभु भेटियइ... ४४४०. भाव भले प्रभु भेटिया... . ५२९५. भाव भले भगवंत री... ५८३२. भावे भेट्या गुरुदेव... ५७१६. भावै भावै भरतेसर भावना... ३८०५. भीगे हैं नयन... ६६८८. भीड़भंजन तुम पर वारि हो जिणंदा... ६६८३. भीड़भंजन तुम पर वारी हो... ६६८९. भीड़भंजन तू श्री अरिहंत... ६६९०. भीड़भंजन दुखगंजण रे... ५२६८. भुज्यत इष्टजनैः सह... . ४९९८. भुवन प्रदीपक वीर नमि... ६१५५. भेट्यो री जिनचंदा... ५६३४. भेट्यो री दादाजी... ३२७६. भैरव भूपाल रमै होरी... ४०६६. भोंडुआ गामइ भेटिया... ६५८८. भोर भयउ भविक जीव... ४९७८. भोर भयो अब जाग प्राणी... ३२३०. भोर भयो सुणि प्राणी हो... ३२४९. भोरी में सहियर बहुत भई... ४३३०. मइ दस मासि उयरि धर यउ... ३७३३. मइ परमादि साहिब कइसइ... ७०५४. मंगलकारणि सहं हथइ... ३३४४. मंगल दीपक मुरु... ४९९६. मंदमतिए दुसम काल नै... ४२३०. मंदिर एक सुहामणौ... ४३०८. मंदोवरि बार बार इम भासै.... ४३२७. मंदोदरि बार बार हम भाखइ... ६८१२. म करि रे जीउडा मूढ... ६०६५. मक्षी पार्श्वजुहारिये... ३२९९. मणिधारी जिनचन्द्र.... ६२०७. मणिधारी जिनचन्द्र.... ६४१३. मणिधारी दादा संघ... ४१३०. मणि मस्तक पर... ५५७९. मत को विरथा गर्व वहई... ३७७८. मदनइ को को न दम्यउ... ५३०४. मदन तणा इल कुणमलइ... ३५७३. मधुवन में जाय मचीरे होरी.. ४७५२. मन उमाह्य माहरु रे कांइ... ४५०५. मनडा तूं होई साहेब सूं राजी... ४९७९. मनडानी अमे कैने कहिये बातो... ६४५३. मनडुं अष्टापद मोह्यं माहरुं रे... ६५५६. मनडु मोहयुं रे माहरूं... ४६४५. मनडो उमाह्यउ... ४८४६. मनडौ आज उमाहियौ... ४६८५. मनडौ उमाहउ सदा माहरउ... ४९१९. मन धरि सरस्वती स्वामिणी... ३४२१. मन धरीय सासण माइ... ४६९१. मन भोला नारी न रचिये रे... . ६९८४. मन महल हमारै... खरतरगच्छ साहित्य कोश ५९९ Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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