Book Title: Khartargaccha Sahitya Kosh
Author(s): Vinaysagar
Publisher: Prakrit Bharti Academy
View full book text
________________
५९१५. वीर जिणेसर नमइ सुरेसर... ५४३९. वीर जिणेसर नमीउ सुरेसर... ५१७८. वीर जिणेसर वंदिये... ४४४७. वीर जिणेसर वान्दवा रे... ३९६९. वीर जिणेसर सांभलो रे लाल... ५७५२. वीर जिणेसर सेवियइ... ५२७२. वीर जिनेश्वर वंदियै... ४३४०. वीरजी उत्तम जन की रीति न कीनी.... ३५९८. वीरजी दिये छे देसना रे... ४८८६.. वीर तणउ गणधर पटधारी... ४६४०. वीर तणी सुणि देशना... ३५९९. वीरप्रभु त्रिभुवन उपकारी... ५३३३. वीरमपुर महिमा पणी... ५७२६. वीर वंदण... ४५०९. वीर वन्दन रवी चन्दमा हाँ... ६८४५. वीर वांदी वलतां थकां जी... ३१०८. वीरवचन चित्त धरी... ५४५७. वीर वचन प्रकासिओ... ६७६८. वीर सुणउ मोरी वीनती.. ६८११. वीस विहरमान जिनवर रायाजी... ३५०५. वीस स्थानक तप सेवीये... ३५९३. वीसे विहरमान जिनराया... ५३०७. वीसो वीस जिण... . ५८९८. वृथा करम वांधति जीउ मारी... ६६११. वृषभ धुरंधर उद्योतन वर... ४७१३. वैसाखां वन मोरिया... ५०१०. वो दिल लग्गा नाम तिहारे... ५०३६. वो सांई मो वीनति कैसे करूं... ६८८३. व्हाला स्थूलिभद्र हो... ५२८३. शंकर गणपति सरस्वती... ४५८७. शताब्दी चौदहवीं... ४८५२. शत्रुञ्जय यात्रा तणी... ६८६२. शरण ग्रही प्रभु तारी... ३२८०. शान्ति. ४०७३. शान्तिकरण जिन सेवियइ... ४०७९. शान्तिकरण प्रभु सेवियइ... ४९३६. शान्ति करो श्री संघ नइं...
४३९६. शान्ति कांति दांति सोहै... ६८२३. शान्तिकुंयर सोहामणउ... ६४३०. शान्ति जिणंदजी की मोहनी... ३९९२. शान्ति जिणंदने सेवो रे मनवा... ४८६०. शान्ति जिणेसर राया हुं तो... ४८६१. शान्ति जिणेसर वीनती... ४८६२. शान्ति जिणेसर साहिबा सांभलउ हो... ३९९४. शान्ति जिनराया सर्वजीव सुखदाया... ६४७३. शान्तिनाथ जिन सोलमउ... ३७६३. शान्तिनाथ दादउ ददरेवइ... ४०१२. शान्तिनाथ सोलसमौ... ६८२६. शालिभद्र आज तुम्ह नइ आपणी... ५७७१. शालिभद्र वीर तणउ आदेश लें.. ६८२८. शाश्वत तीर्थंकर च्यार... ५४४१. शासन नायक... ३८२५. शासन नायक वीरजिण... ५०२३. शासननायक वीरनै... ५९५३. शासन नायक समरिये... ५०५६. शासन बाग मां... ३५११. शासन स्वामी रे निर्मल... ६२५४. शिवादेवी नंदन चरण वंदन.... ७०४१. शिखर समेत वसे हो विमल जिन... ३८१६. शिवसुखकर हे पास जिणेसर... ६१४७. शिवसुखदायक जाणिनै... ५७७३. शीतपुरे अति शोभतौ.... ५०७६. शीतल छे दादा... ५७७४. शीतल जिन को ध्यान धरुं... ३८९५. शीतल जिन सुरतरु... ४०७५. शीतल जिनवर जगधणी... ६८३२. शील व्रत पालउ परम सोहामणउ रे... ४८७४. शील सलूणी सुभद्रा सती रे... ३७६७. शील सुदृढ़ पालइ जिको हो... ५१४१. शेज गिरि भेटीये... ५६९०. श्याम जी तुहारे... ५४१८. श्रद्धा के सुमन... ५८४९. श्रद्धा संयम साधना... ६२१२. श्रद्धा सुमन...
खरतरगच्छ साहित्य कोश
६०७ www.jainelibrary.org
Jain Education International
For Personal & Private Use Only

Page Navigation
1 ... 675 676 677 678 679 680 681 682 683 684 685 686 687 688 689 690 691 692