Book Title: Khartargaccha Sahitya Kosh
Author(s): Vinaysagar
Publisher: Prakrit Bharti Academy

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Page 683
________________ ७०३०. सद्गुरु करुणा... ३५४२. सद्गुरु का ध्यान... ३३७३. सद्गुरु की पूजन कर... ४४२५. सद्गुरु की वाणी सुनो... ४५७३. सद्गुरु के चरण... ' ३३४१. सद्गुरु के द्वार... ३३३२. सद्गुरु गच्छनायक... .. ३७९२. सद्गुरु गुण गावू... ५८३६. सद्गुरु चरण..... ५३७२. सद्गुरु चरणकमल... ६१७९. सद्गुरु चरण कमल मनधारं... ६१४५. सद्गुरु चरण नमी करी... ७०१३. सद्गुरु चरण नमी करी... ३०९७. सद्गुरु चरण नमो चितलाय... ३४०३. सद्गुरुजी थे साँभलो... ५४७३. सद्गुरु जी थे सांभलो... ५३७३. सद्गुरुजी में... .. ५८५५. सद्गुरुजी म्हारां... ३३०१. सद्गुरुजी म्हारे मन... ३६२७. सद्गुरुजी सुणो मोरी... ३३४७. सद्गुरुजी हो म्हारां... ' ६१०५. सद्गुरु थे सांभलो... ६४१५. सद्गुरु दरसण... । ३३७४. सद्गुरु दीनदयाल... ४००६: सद्गुरु देशन सांभलि... ३८२१. सद्गुरु दो बड़... ६९५६. सद्गुरु नी शोभा... ३५३१. सद्गुरु ने पकड़ी... ७०८१. सद्गुरु ने मोहे... ४४०५. सद्गुरु ने राखी... ३९३०. सद्गुरु न्यारा रे... ५४१३. सद्गुरु पूजन... ३६३४. सद्गुरु बिन मोहि... ३७७३. सद्गुरु भेटणि आवहु माइ... ४१३३. सद्गुरु मणिधारी... ३३१९. सद्गुरु मेरे... ३६६०. सद्गुरु मेरे कुशल... ३९३२. सद्गुरु म्हारां रे मोहनगारा रे... ४१६५. सद्गुरु वचन हीयइ धरउ... ३३२४. सद्गुरु श्री जिनकुशल... ३२९६. सद्गुरु श्री जिनकुशल... ४१२८. सद्गुरु श्री जिनकुशल... ५८१२. सद्गुरु श्रीजिनदत्तसूरि... ७०२३. सद्गुरु समरु सुख दातार... ४५८०. सद्गुरु सुख... ४६६८. सद्गुरु सुणि अरदास हो... ५८४२. सद्गुरु सुनिये अरज... ६५८४. सद्गुरु सेवउ हो शुभ मतियां... ३६६३. सद्गुरु सेवा भाव... ६१९८. सद्ज्ञान के उज्जवल.... ४०६१. सपत फणा प्रभु पास जी... . ५२७१. सफल थाल बागा थिरा... ६५५८. सफल नर जन्म मनु आज मेरउ... ६७३५. सफल भयउ नरजन्म... ५४३७. सफल संसार अवतार... ५७५७. सब जगि पाहुणा बे... ३८८६. सब नमइ... ३८९२. सब नमइ चक्रवर्ती जिनचन्द्रसूरि... ५२३८. सबल सकल विधि सबल सुत... ४१५०. सब स्वारथ के मीत हैं... ४१९०. सब स्वारथ के मीत हैं... . ४६६४. सभा पूरि विक्रम्म.... ४८६३. समकित दायक सोलमा रे... ६३७२. समकित दृष्टि जिनप्रतिमा सेवा... ५१३६. समकित नवि लयुं रे... ५९०२. समता रस भरि झीलतारे... ५१५१. समयसुन्दर वाणारस वंदिये... ४१२७. समरण होत सहाई... ६३६७. समरवि वीर जिणंसर देव... ७११८. समरवि सुगुरु पाय अहे... ३४७९. समरीजइ श्री जिनकुशलसूरि... ३१००. समरु माता सरसती... ३३२६. समरूं श्री जिनदत्तसूरि... ६१६७. समरो साहिब कुशलसूरीसर... ६१३ खरतरगच्छ साहित्य कोश Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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