Book Title: Khartargaccha Sahitya Kosh
Author(s): Vinaysagar
Publisher: Prakrit Bharti Academy

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Page 681
________________ ४६२३. श्री विमलाचल गुणनिलउ... ४६२४. श्री विमलाचल गुणनिलउ रे लो.... ५८९३. श्री विमलाचल तीरथ धणी... ४६२५. श्री विमलाचल मण्डन रिषभ जी... ५१७३. श्री विमलाचल वंदीयई हुं वारी लाल... ४६२६. श्री विमलाचल सिखर विराजइ ४३३७. श्री विमलाचल सिरतलउ... ३७८६. श्री वीर के महाधीर... ४८५१. श्री वीस जिणेसर भाखइ तप... ४१२३. श्री शंखेश्वर पास जिणेसर... ३५८१. श्री शंखेश्वर पासजी रे... ६२५६. श्री शंखेश्वर पासजी रे लो... ४५२९. श्री शत्रुञ्जय गिरनार बे... ४५३१. श्री शत्रुञ्जयगिरि भेटियइ.... ४५६१. श्री शारद प्रणमी करी.... ५५५७. श्री श्रुतदेवी... . ४४४९. श्री श्रुतदेवी नमी करि..... ७०५८. श्रीसंघ आज बविणी... ३८४१. श्री संघ करइ अरदास हो... ६५१५. श्री संघनइ मङ्गल करउ ए... ३६०५. श्री संभव जिनरायजी... ३६०६. श्री संभव जिनरायजी... ३६०७. श्री संभव जिनराया... ३९९६. श्री संभवजिनराया... ५१३४. श्री सम्मेतशिखर वर... ३३७१. श्री सद्गुरु का दरस... ५२९९. श्री सद्गुरु उपदेस संभारो... ६४२६. श्री सद्गुरु जिनकुशल... ३३७२. श्री सद्गुरुजी से... ४५९५. श्री सद्गुरु तुम... ६४२७. श्री सद्गुरु महाराज.... ३८०६. श्री सद्गुरुवर... ७१२१. श्री सरसति मति दिउ घणी.... ३४७१. श्री सरसति सदा समरीजै... ४३१८. श्री सरसति सुप्रसन्न सदा... ४५३८. श्री समीयाण मण्डन पास.... ४५२३. श्री सहू या में महिमा घणी... ४५३६. श्री सांचोर मण्डन... ३९३९. श्री सिद्धचक्क सुहंकर जाणो... ३४९३. श्री सिद्धाचल गिरि... ३९२६. श्री सिद्धाचल तीरथ सेवो..... ३९९५. श्री सिद्धाचल भेटोरे... ३९०४. श्री सिद्धाचल रैवत... ५९४२. श्री सिद्धाचल सेवीये रे लो... ४८२८. श्री सिद्धारथ कुल कमला... ३५५४. श्री सेढीतट मेरुधाम... ६६१३. श्री सेत्रुञ्जि गिरिशिखर... ६३५६. श्री सीमंधर जिनवर साहिब हो... ४८८३. श्री सीमन्धर सांभलउ ३६१६. श्री सीमंधर साहिबा... ४८८४. श्री सीमन्धर साहिबा वीतड़ी अवधार... ५८००. श्री स्थूलभद्र प्रीतम..... ५९३२. श्री हीरकीर्त्ति वाचक प्रणमो... ३५३९. श्रुत अतिहि भलो... ४८६६. श्रुतकेवली नमूं प्रह समै... , ५७९३. श्रुत देवी रे... ४५४४. श्रुत देवी रे प्रणमी मन शुद्धभाव सुं... ५१६०. श्रुतदेवी सुणीयै अरज... ६४४२. श्रेणिक रयवाडी चढयउ... ४८३३. श्रेणिक राजा तणो रे जमाई... ५४५६. श्रेणिक वीरजिणेसर वंदइ... ३८८४. श्रेय शांति सुख संपदकारी... ६७२६. संखेसरउ रे जागतउ तीरथ... ६८३७. संघ गिरुयउ रे श्री संघ गुणे... ६८३९. संघपति सोम तणउ जस... ४३२२. संघवी तूं कलियुगी सुरतरु... ४५३२. संजम ले प्रभु रिसह नाह... ३४५०. संजम सुधो आदरइ... ४४२०. संत करण सामी सोलमउरे लाल... ६१७३. संत निंद इतनी बात कहूं... ५५६१. संतिकरण सामी सोलमो... ३७६४. संतीसर जिणराय सांभलि... . ४२८९. संतो ऐसी तंबाखू पीयो रे... ३८३१. संतो देखीए बे परगट पुद्गल जाल तमासा... खरतरगच्छ साहित्य कोश ६११ www.jainelibrary.org Jain Education International For Personal & Private Use Only

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