Book Title: Khartargaccha Sahitya Kosh
Author(s): Vinaysagar
Publisher: Prakrit Bharti Academy
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क्रमांक
कर्ता नाम
क्रमांक | कर्ता नाम
४८९७-४९१२ | ज्ञानप्रमोद वाचक १६४,१५५१, २३४५, ४९४६ जिनहितसूरि लघुखरतर २०९५ ज्ञानमण्डल
४९४७ जिनहेमसूरि २९४६ | ज्ञानमन्दिर
२६३२ जिनानन्दसागरसूरि ___४९१३-४९१६ / ज्ञानमेरुगणि ३९६, ४२०, ५४९, ८०५, जिनेश्वरसूरि/जिनगुणप्रभसूरि बेगड़ ८५५, ८८५, | __८७१,२१२०, २३९६, २९३२, ४९४८
१८०१,४९१९-४९२४ | ज्ञानविमलोपाध्याय ५५३, १५५२, २५८२, जिनेश्वरसूरि/जिनपतिसूरि १४४, ५९५, ६५८, |
४९४९,४९५० ६८२, ६८३, ६८५, ७०९, ११५८, १४२५, | ज्ञानसमुद्र
८१२ १५४९,१५५०, २१०७, २१९७, २३५७, २४५०, | ज्ञानसारोपाध्याय ४२, १३७, ४०७, ६७०, ७६०,
२४६५, २५८९, २६८०,२८६५,४९१७-४९१८ __७७९, ७९८,८०८, ८२६, ८२७,९५५, ११६२, जिनेश्वरसूरि/वर्द्धमानसूरि ११५, ११७, २४७, १६९९,१७०४, १७१०,१७५८, १७६६, १८११,
२४९, २८५, ३०६, ३०७,७२८,८४४,१२७६, १८३२,१९११,१९४२,२१२७,२३७९, २४३४, १३७४, १७९४, २७२६, २८८१,
२४३५, २८३६, ४९५१-५०४२ जिनोदयसूरि/जिनचन्द्रसूरि १०७५, २६२९, ४९२५ | ज्ञानसागरोपाध्याय १९८, ३१२, १२३९, २४९७ जिनोदयसूरि/जिनतिलकसूरि ३११,७००, ९२०, | ज्ञानसुन्दर ७९६, २२८०,५०४३-५०४५
२४१४, ३०७६, ४९३२-४९३६ | ज्ञानहर्षोपाध्याय ११०९, १११७, ५०४६-५०५१ जिनोदयसूरि/जिनसागरसूरिशाखा १२५१ | ज्ञानानन्द
५०५२,५०५३ जिनोदयसूरि/जिनसुन्दरसूरि बेगड़ ३३, २३८, | ठक्कुर फेरु धंधगोत्रीय ५०८,५४१, १०२३,
५६२, ५७१, १९००, २३१६, ३००२, ३०१५, | ११५०, १२०५, २२१४, २२४०, २३५८ ४९२६-४९३१
तत्त्वकुमार
२२४१, २७०५ जीवराज २५२०, २५३३, २५३७, २९७६ | तत्त्वसुन्दर वाचक
५०५४ ज्ञानकलशोपाध्याय - ९९९ तत्त्वहंस
२२१, २०१० ज्ञानकीर्ति १८६४ तपोरत्नगणि
२२८,२७४१ ज्ञानकुशल
४९३७ तरुणप्रभसूरि २१, १६५, १६६, १६७, १६८, ज्ञानचन्द्रोपाध्याय २९१,७१७, ७७८, ९४३, | १६९, १०७६, १५५३, १५५४,१५५५, १५५६,
१७८५,२९४५ १५५७,१५५८,१५५९,१५६०,१८७१,२०९६, ज्ञानचन्द्र/जिनोदयसूरि
४९३८ । २०९७,२०९८,२२०९,२२१०,२४७१, २६२८, ज्ञानचन्द्र उ./सुमतिसागर उ. ४९३९,४९४० | २६३०, २६३१, २७३४ ज्ञानतिलकोपाध्याय/पद्मराज़गणि ५९०, ८९३, | तिलकगणि
१८२९ १२१६, २४०३, ४९४१-४९४४ | तिलकचन्द्र
१७८७ ज्ञानतिलकोपाध्याय/विजयवर्धन २४०४, २९४१ / तिलकश्री
५०५५-५०८१ ज्ञानधर्मोपाध्याय ११०८, ४९४५ | तिलोकचन्द लूणिया
७०८ ज्ञाननिधानगणि ३७७,८३० | दत्त मण्डल
५०८२
प्रथम परिशिष्ट
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