Book Title: Khartargaccha Sahitya Kosh
Author(s): Vinaysagar
Publisher: Prakrit Bharti Academy

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Page 638
________________ २०२९. पास जिणेसर पय नमिय... . १४९०. पुरिजीरिका पल्लिकापारिजातं.... ५८७. पूर्वराद्ध-प्रसन्न सुकृतनरपतिस्ते... १६२९. प्रकृत्यापि विना नाथ... १६. प्रगटिउं पुण्य प्रमाण... १६३०. प्रणत मानवमानवमानवं... ९९१. प्रणतसुरनिकायं... २३५४. प्रणतसुरनिकायं कांचनच्छायकायं... २६०१. प्रणतसुरनिकायं काञ्चनच्छायकायं... २७७०. प्रणतसुरासुरमौलिप्रदेश... १५६५. प्रणमति यः श्रीगौडीपार्श्व... १६३१. प्रणमामि जिनं कमलासदनं... २०९७. प्रणम्य सम्यक्चरणारविंद.... ६५५. प्रणम्यादिजिनं प्राणी... २५६६. प्रणम्यादिजिनं भक्त्या... २०७७. प्रतप्तहेमप्रतिमप्रदीप.... १३६५. प्रतिष्ठितं तमः पारे.... ६३९. प्रत्यूहव्यूहमोहोत्कटकरटि... ६८९. प्रत्यूहव्यूहमोहोत्कटकरटिघटो.... ६२८. प्रथमजिनवर निखिलनरनाथसंसेवित... ९९०. प्रभुः प्रदद्यान्मुनिप... ९६५. प्रवरधार्मिककच्छसुलायजा... १५६७. प्रवरपार्श्वजिनेश्वरपत्कजे... १५६८. प्रससर्ति पार्श्वेश... २२०४. प्रवीभवत्रिदशनाथकिरीटकोटि... २८५५. प्राग्वाग्देवीजगज्जनोपकृतये... १८४. प्राज्यां चरीकर्त्ति सुखस्य... १६१. प्रीणन्तु जन्तुजातं... १२६९. प्रीणन्तु जंतुजातं... १३५५. प्रीतद्वात्रिंशदिन्द्रोदित... २८७२. प्रीतिप्रसन्नमुखकौशिकनन्द्यमाना... १४७४. प्रोल्लासिप्रभयो प्रभावनवगो... ७०९. भगति करवि बह रिसह जिण... १५६९. भजेऽश्वसेननन्दनं... १६३२. भणुया तिसय तिडुत्तर... २४४८. भत्ति सरोवर उलटियो... १६३३. भलूं आज भेट्युं प्रभो पादपद्म... १४९६. भवगत्तंतो निवडंत... १५७५. भवभयगहणदहण... ९५४. भविअ जण नयण वणसंड पडिबोहगं... १४८४. भविकभावुकसङ्गमकारकं... १९९४. भावारिवारणनिवारणदारुणोरु... ६५७. भीमभवसंमभुन्भंत... . १३०१. भुवनजननयण भण वयण... . २४३९. भूतानागतवर्तमानसमये... १५७०. भो भो भव्या... १४७५. मङ्गलपुरवरमण्डन देव... २७. मंगल कमला कंदए.... २०७१. मथितमदनदर्पं ध्वंसिता... १३२२. मनोभीष्टदं रैवते पारिजातं... ७२७. मनोरंगि मई आपणइ बुद्धि पामी... २७१७. मम गिरीश्वरी भवताद्... २०४८. मम हरउ जरं... ५७७. मयरहियं गुणगणरयण... ६३६. मरुदेवीनाभितणयं... २०७२. महसारविकल्प सकल्पतरो... १६०८. महानन्दकल्याणवल्ली वसंता... १०६८. महानन्दमहानन्द... २८८०. महानंद महानंद महानंदविधायकान... १५८८. महामणिकरण्डं व्याधिसिन्धौ तरण्डं... १६४४. महिमावलि-मञ्जलमणिकरण्ड... १६७. महिलामणि मरुदेवी... २२१०. महिलामणि मरुदेवी... ८९८. मिथः प्रश्ने पुंसा... २४५३. मुखं सम्मुखं... २८८६. मुखं संमुखं नयणले देव दीठु... १४७६. मुखं स्वामिनुं चन्द्रमा बिम्ब तोलइ... २९६३. मुज मनि आविउ अविचल... १२११. मुझ मनि लागिय खन्ति... २२११. मेरुसार मरुदेविकाङ्गभू... २२०८. मेरौ दुग्धपयोधि वा... ६६७. मोह महाभड मयभड... १०९. मौनेनोर्वी व्यहतपरितो.. | २२६४. यः श्रीमोहनलालजीमुनिवरो... ५६८ द्वितीय परिशिष्ट Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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