Book Title: Khartargaccha Sahitya Kosh
Author(s): Vinaysagar
Publisher: Prakrit Bharti Academy

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Page 661
________________ ५२०८. दौलति दाता द्यौ सुखदाता... ४६४९. धण पुर गुब्बर गाम... ३१६३. धणिय एक चिंतामणि ध्यावो... ३१६५. धणिय एक चिंतामणि ध्यावो... ३१६६. धणीय चिंतामणि ध्यावो सुगुणनर... ६१७५. धन ते दिन मुझ ने कब हुवइ रे... . ६५५२. धन दिन जिनसागरसूरि निरखी नयणा... ४४१७. धन धन आर्द्रकुमार... ५५५९. धन-धन आर्द्रकुमार... ६८६९. धन धन क्षेत्र महाविदेह... ३२८७. धन धन जंबूद्वीप दक्षिण धरारे... ५११३. धन धन ढंढण मुनिवर... ६७५७. धन धन ते दिन मुझ कदि होस्यई... ४३९१. धन धन थुनौ पाटण... ५२१३. धन-धन दिन आज नौ लखै... ४०९७. धन धन पारकर देश.... ५७२१. धन धन मरुदेवा माइ... ५१४४. धन धन मुनिवर जे संजमवर्याजी... ४२६४. धन धन सती रे कलावती.... ५२७८. धन धन सहु तीरथ मांहि धुरै... ६८२४. धन्नउ शालिभद्र बेइं...' ३४११. धन रसना मेरी कोइली रे.. ५७८४. धन साधु जे इणि परि रहइ... ५७१५. धन साधु बाहुबली... ३२२१. धन सूरत नगर सुचंग... ४००५. धनुष पांच शत देह मनोहर... ६७६९. धन्य दिवस मंद आज जुहास्यउ... ६८५७. धन्य साधु संजम धरइ सूधउ... ३६१४. धर नवपद से रङ्ग मेरे मन... ५१०९. धरम उत्सवसमै जैनपद... ४१९२. धरम करौ भाषित जिनजी कौ... ५९०३. धरम खरो जिनवर तणो... ४९३४. धरम पारण जिणवर... ४६८४. धरम सहू मंगलीकमई... ३३८१. धर्म कुं अधिक..... ३९२८. धर्मजिनेसर जगधणी... ५६४४. धर्मनाथ जिन धर्म धुरन्धर... ५४८९. धर्म नो डंको.... ३८६१. धर्म मङ्गल महिमा... ६१७८. धवल धणि मोदक धणी... ६७७७. धारणी मनावइ रे मेघकुमार नई रे... ५८८१. धींगधवल गोडी धणीजी लो... ४८७३. धीज करे पावक नउ जानकी... ३७९०. धीरे धीरे गारे गुरु.... ७१०३. धुरादेस मरुधर सहर बीकांण... ६७५२. धोबीडा तूं धोजे रे मन केरा धोतिया... ३१६७. ध्याया ध्याया ध्याया वे... ५७४२. ध्यावो ध्यावो श्री जिन वर्द्धमान... ५७२२. ध्यावौ ध्यावौ... ७०८०. नईया मेरी दादा... ६०१८. नंदन अससेन रायनौ रे लाल... ३७५६. नंदन नाच राधा... ६१७२. नंदन वामाकउ देव... ४१०६. नंदीसर बावन्न जिनालय... ३२८१. न कर नाह परनार तणौ संग. ६७७९. नगर राजबह मांहि वसउजी.. ६६०८. नगरी अनोपम द्वारिका... . ६६२०. नगरी कंपिल्ला नउ धणीरे... ६६१६. नगरी द्वारिका निरखियइ... .. ६५२३. नगरी राजगृह मांहि वसे रे.... ५४०५. न छिटकाओ गुरु... ६६६५. नडुलाइ निरख्यउ जादवउ... ३२०१. नणद तुमारो नवल सनेही... ३७३८. नमइ जेहना पाय... ५३९४. नमइ पाय मुणिराय जसु हाथ जोड़ी... ३८८७. नमवि गुणरगण गणे भरिय जिणवर... ५४६३. नमवि सिरि रिसह जिण भाव हियई धरी... ५००२. नमस्कार अरिहंतने... ४००१. नमियइ नाभ मल्हार... ५४५०. नमिय जिन पयकमल विमल भावइ करी... ३८२६. नमिय जिनराय गुरुपाय प्रणमी करी... ५३८७. नमिय पयकमल सुप्रभाव... ६००७. नमिय सिरि पासजिणराय पयपंकज... ४२७२. नमिय सिरि पासजिण सुजण... खरतरगच्छ साहित्य कोश ५९१ Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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