Book Title: Khartargaccha Sahitya Kosh
Author(s): Vinaysagar
Publisher: Prakrit Bharti Academy
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६१९७. पूजो पूजो जिनदत्त..... ४५७२. पूजो भजोरे भई... ३७९५. पूजो रे पूजो रे पूजो दादै सम... ५५२४. पूजौ रङ्ग रलि हो.... ६०९१. पूज्य अवाज सांभलउ सहिए... ६७८७. पूज्य जी तुम चरणें मेरउ मन लीणउ .... ३६९९. पूनमि पूनमि गुरुजीनी पूजा..... ७०५७. पूरउ पण्डित पूछीयउ रे... ४८५७. पूरउ म्हारा मनडा नी आस रे..... ५१९७. पूर मनोरथ पास जिनेसर .... ३६०८. पूरव देसैं दीपतौ .... ६८६५. पूरव महाविदेह रे .... ४८८२. पूर्व विदेह पुखलावती... ४३२१. पोतइ जइ प्रित बूझवउ ... ४७७३. पो दसमी दिन जाया जगगुरु.... ४७३७. पोतनपुर रलियामणुं रे लाल... ३७०० प्रकट उपम धरि आन जान... ३८६९. प्रकटिउं पुण्यप्रभाव...
६८१०. प्रणमिय सारद माय समरिये सद्गुरु.... ५१०७. प्रणमियै विश्वहित जैनवाणी.... ६४९५. प्रणमी वीर जिणेसर देव... ५६२८. प्रणमी वीर जिणेसर पाय... ५८६९. प्रणमुं ऋषभ जिणेसर... ५८७०. प्रणमुं ऋषभ जिणेसर... ३०८७. प्रणमुं पंच परमेसरू... ५१७७. प्रणमुं प्रथम जिणेसर ..... ५६०२. प्रणमुं प्रभु वाणी... ५९०८. प्रणमुं भावई श्री आरिहंत... ४६०८. प्रणमुं सरसति सुमति दातारो
३८२४. प्रणमूं कुशल सूरिंदा .... ६६०७. प्रणमूं श्रीगुरुपाय... ६५४२. प्रतिमा पूजा भगवंति भाखी रे... ७०९१. प्रत्यक्ष दर्शन दीजे... ६६२५. प्रथम गोपाल तणइ भवइजी... ४६२८. प्रथम जिणेसर आदिनाथ... ४६५७. प्रथम जिणेसर रिषभनाथ.... ४६३६. प्रथमं जिणेसर प्रणमीये रे...
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३०९९. प्रथम जो देरावरे सुथान.... ४८४७. प्रथम तपइ परभात....
६४६५. प्रथम तीर्थंकर प्रणमियै हुं वारि... ३१०३. प्रथम नमूं पंच इष्ट ने..... ४८८९. प्रथम प्रणमुं मात सरसत... ४८२२. प्रथम मंगल मन ध्याईये.... ३५५२. प्रथम महेसर पदमनाथ... ६०७५. प्रथम सीमंधर जिन सुप्रशंस... ४९४८. प्रथमहि समरुं सरसती... ५६७८. प्रभु अब मोहे महर करी.... ५०१७. प्रभु अरदास सुणी जे... ४०६९. प्रभु अवतारी ...
३१६९. प्रभु चिंतामणि जस जग जयो... ५५२५. प्रभुजी की मूरति मोहनगारी ... ५६२७. प्रभु जाणी रे सुर राणी प्रणमी करी... ७०४०. प्रभु जी जो तुम तारक नाम धरायो... ६१५९. प्रभु जी तुम चरणां सुं नेहडो..... ६१६०. प्रभु जी मोरा रे तूं दीन दयाल.... ५४४९. प्रभु तूं सांचो पारसनाथ कहावै... ४०६२. प्रभु तेरी मूरति मोहनगारी ... ६८६०. प्रभु तेरो रूप वण्यौ अति नीको... ६८३८. प्रभु नरक पडतंउ राखियई...
५१४६. प्रभु नाथ तुं तियलोकनो... ४८१०. प्रभु पद पंकज पाय के... ६३७१. प्रभु प्रणमुं रे परमेसर त्रिभुवनतिलो....
३४८९. प्रभु प्रणमुं रे पास जिणेसर थंभणो... ६३७०. प्रभु प्रणमुं रे प्रहसमे प्रथम जिणेसर... ३७३०. प्रभु पासकुमर खेलइ वसंत .... ५५९०. प्रभु पास जिणेसर ..... ४४३९. प्रभु पास जिणेसर जगी राजइ .... ३३१०. प्रभु पासजी ताहरो ....
३६८३. प्रभु पास सहस्रफण प्रगट.... ३७५५. प्रभु सहस्रफण प्रगट...
६७१८. प्रभु फलवर्द्धि पास परभाति पूजउ ... ३५१६. प्रभु मया करि निरंजण दीदार ... ५५४८. प्रभु मूरति सुन्दर ....
४४२७. प्रभु मूरति सूरति अजब विराजे...
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तृतीय परिशिष्ट
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