Book Title: Khartargaccha Sahitya Kosh
Author(s): Vinaysagar
Publisher: Prakrit Bharti Academy
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५९०९. नमिर सुर असुर नर .... ५३०५. नमूं नवमं बलदेव मुनिवर.... ५२४६. नमो नितमेव सजौ सुभ सेव... ७०४३. नमो सूरि जिनचन्द...
७०६१. नमो सूरि जिणचंद दादा सदा दीपतउ... ४६८६. नयन कुं देखो नाहि.... ४१९३. नयना सटक मानइ नांहि... ४६९६. नयन सलुणा हो साहिब नेमजी... ६४४७. नयरि उज्जयिनी मांहि वसई... ४७८८. नयर नींबाजइ दीपतउ रे.... ५४२६. नयन बावरे...
६३८८. नयर विनीता राजीयउजी... ६६२८. नयर सुदरसण राय हो जी... ६४९६. नयरि द्वारामती जाणियइ जी.... ६५१८. नयरी कंपिल्ला नउ धणी..... ४८१६. नर एको निकलंक वदन... ६८४८. नरमदा सुन्दरी सतिय शिरोमणि... ६८४६. नल दवदंती नीसरया.... ५९४०. नव खण्ड में जसु नाम पंडित... ४३८१. नवखंडा प्रभु मुझ वीनती.... ३५६८. नवखंडा प्रभु मुझ वीनती..... ६९१२. नवनिधि चवद रयण आवइ... ५६९९. नव निधि नीकइ ....
३४०४. नवपद ध्यान धरीजै.. ६१४६. नवपद ध्यान धरो रे... ६६९४. नवपल्लव प्रभु नयणे निरख्यउ...
४२४५. नवलउ नवलउ बेस...
३२२६. नवल लग्यो है अब जिनजी सै नेहरा ... ६६३१. नववाडि सेती सील पालउ... ५११९. नवानगरमे भेटीए जिनवर जयकारी... ६१५०. नहीं कोई तारणहारा प्रभु विन... ३९४१. नाकोड़ा पारस प्रभुधारी.... ६७६०. नाचति सुरियाभ सुर वीरकइ आगई... ६७६५. नाटक सुर विरचित सुरियाभ... ४०८१. नाथ सुपास तणउ गुण गाऊं... ४९९१. नाभिजी के नन्द से लगा मेरा नेहरा... ४९२७. नाभिराय जूको नंद मरुदेवा कुखिचंद...
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६५२०. नाभिराय मरुदेवी नन्दन... ५३१४. नाभिराया कुल चन्द.... ६४५७. नाभिरायां कुलचन्द आदि जिणंदू.... ५३१५. नाभिरायां कुलचंद मरुदेवी को रे नन्द.... ६४७८. नाम इलापुत्र जाणियइ... ४०७४. नाम जुगति जगि तुम्हारा... ६२३७. नाम तुम्हारो सांभली रे..... ४६४८. नामे नवनिधि होय ... ५८०६. नार एक अतिशय रूयड़ी.... ६६३२. नावा नीकी री चलइ नीर मझार... ३१९७. नाह मेरो अब निठुर भयो है... ४७०२. नाहलीया निसनेह कि पाछा... ३२३७. निंदलड़ी को संग नहीं कीजै..... ५६१२. निके आज सुधन दिन..... ४७०३. निगुण निरागी नाहलउ ... ७०३४. निजनंदन हुलरावे वामादेवी.... ३७४३. निज रूप करि जिमि मयन... ३८२३. नित उठ कुशल सूरिंद के... ३३२१. नित कुशल सूरिसर... ३८२०. नित चरणों...
७०९०. नित नमिये कुशल..... ५२५७. नित नमिये पारसनाथ जी .... ३२७५. नित नमियै भैरव मतवाला.... ६३२८. नित नमीये नाथ मोहनगारो.... ३७२२. नित नमूं महिमा गुणमणि... ३५६९. नित प्रणमुं वामानंदजी ... ३१६८ नित लीजै प्रभु नाम तुहारो... ६६३४. निन्दा न कीजइ जीव पराई... ६६३५. निन्दा म करजो कोई नी पारकी रे....
५९१९. निरधारां आधार...
३२७१. निरुपम मिंदर भल निपजायो....
५३३० निश दिन चित चावे.... ४८६७. निशि दिन हो प्रभु... ३१०९. नींदलडी लोचन परिहरो... ३४०९. नींदलडी वेरण हुय रही... ६८५८. नीकी प्रभु आंगी वणी जो.... ५७१२. नीके नाभिके नन्दन...
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तृतीय परिशिष्ट
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