Book Title: Khartargaccha Sahitya Kosh
Author(s): Vinaysagar
Publisher: Prakrit Bharti Academy

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Page 657
________________ ४६८१. ढंढण रिषि ने वंदणा हुं वारी... ४३०० तर तुम्ह तारक यादुराय. ६७४५ तखिशिला तगरी रिषभ समोसरचा रे... ... ४०१८. जेसलमेरु मझार.... ३२६९. जै जै .. ६१३४. जै जै चिंतामणि पास... ३३९५. जैन अयन... ३१२९. जै बोलो आदि जिणेसर की जै बोलो... ३१५९. जै बोलो जै बोलो पास चिंतामणि की .... ५७१०. तनड़ा तूं हइ... ६६०९. तप तप्या काया हुई. निरमल... ६०७०. तरसत अंखियां... ६२३६. जैन युक्ति सुं साधना... ६३०८. जैन शासन ताज हो.... ६७३६. जैसलमेर नगर भलौ... ६७०९. जैसलमेर पास जुहारउ... ५४४६. जो इंद्रीवसि मौन न रहुं तो.... ६३९६. जोउ जोउ बहिनी हियइ विचारीनइ... ६२९२. तव भाव बहुभत्तिभर नमिय जिणवरपयं.... ४०४६. तसरपुर में महिमा घणी .... ४९१८. ता उत्तर दक्षिण पूरव पश्चिम .... ४०२५. तारक अजित जिनेसर... ५४२४. तारने वाला... ५४९०. तारी मूर्ति मैं... ३३५९. तारो तारो कुशल.... ५७८३. तिण साधु के ... ६८५६. तिण साधु के जाऊं बलिहारे... M ५७२८. जोगियां सेईजो.... ७०४४. जोगीश्वर जिण.... ३९०३. जो जैन शासन... ५०४२. ध्रुव अलख अमूरती... ५४००. जो मैंने थामा है..... ६१८०. जोर बन्यो जोर बन्यों जोर बन्यो राज... ६७११. तिमरीपुर भेट्या पास जिनेसर बेई... ६९८०. तिसणा तीन भवन मैं जागी.... ७०४९. तिहां सखी वांरण जाऊं ... ३४६३. तिहुअण जण... ६६५९. तीन गुपति ताणो तण्यो रे.... ४३८४. जोरी थारी कौन जुरेगो... ४८०९. जोवन ज्युं नदी नीर जात..... ४८३५. जोवन में राग रंग... ५२८६. जोवनियो जायै छै जी.... ५५६४. तीन भुवन कौ साहिबौ... ६१०२. तीरथंकर चउवीस प्रणमउ... ६८५२. जोवा आव्या रे देवता... ५१८४. ज्ञान गुण चाहै तो.... ४४६९. ज्ञान तणी वाणी सुणो..... ३६१३. तीरथनायक. जिनवरुजी..... ३५४४. तीरथ नायक जिनवरु रे... ३५१५. तीरथपति त्रिभुवन तिलौ... ६१३१. ज्ञान दिवाकर. तूं सही... ४४८९. ज्ञान धरउ चित मांही... ३५३४. तीरथपति त्रिभुवन सुखदाई... ६१६४. तीरथपति शिखर गिरिंद भेट्यो.... ६७०६. तीरथ भेटन मई... ५७६०. ज्ञान धरउ चित मांही... ४४०७ ज्ञान धरौ चित मांही... ६३२३. ज्ञान निरन्तर वंदीये ... ७१०९. ज्ञानी देख नारायण गुरुजी... ६१०१. तीर्थंकर चौवीसे प्रणमूं... ५२८९. तीर्थ सैत्रुंजै जी रहिवा मनरंजै.... ३१६०. तुं तो चिंतामणि चितधर रे.... ५२५०. ज्ञायक गुणै अगाह ... ५०३२. झल हल तो भानु किधुं.... ३३९४. झुक झुक नमूं रे तोहे ... ४९७४. झूठी या जगत की माया.... ५७९४. तुं धन धन... ४०५०. तु धन भद्रा मायड़ी... ३१३०. तुं नहि किसकौ को नहि तेरो.... ४८७८. तुं मैडा पीउ राजनां बे... ६७०५. ठाम ठाम ना संघ आवै... ३७६१. डूंगर भलइ भेट्उ..... खरतरगच्छ साहित्य कोश Jain Education International ४८७५. तुंही नमो नमो समेतशिखर गिरि .... ३८२२. तुझ देखन मोहि चाहि... For Personal & Private Use Only ५८७ www.jainelibrary.org

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