Book Title: Khartargaccha Sahitya Kosh
Author(s): Vinaysagar
Publisher: Prakrit Bharti Academy

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Page 655
________________ ३१५६. जय जय जिणवर भवभयदुखहर.. ३५३३. जय जय जिनवर आदिदेव... ६३१४. जय जय जिन शासन सुरी रे... ३५२०. जय जय नाभिररिंद नंद... ३५६२. जय जय परम पुरुष परमेसरु... ४१३४. जय जय मणिधारी... ४५९६. जय जय मणिधारी... २८८१. जय जय वीर जिणेसर देव... ५९७८. जय जय वीरजिणेसर देव... ३१५७. जय जय श्री जगनाथ... ४३७५. जय जय श्री जिनकुशल... ३५६३. जय जय श्री जिनराज... ४३७३. जय जय सद्गुरु... ४३७९. जय जय सद्गुरु... ६३५९. जय जय सीमंधर जगदीश्वर... ३६१८. जय जय सुमति जिनेसर सामी... ४५९८. जय जय हो... ३२०६. जय बोलो कुशलसूरीसर की... ४१०९. जय बोलो रे पास जिणेसर जी... ४१५९. जय बोलो सदगरु राजा की... ५७६६. जय जिनराज तूं ही...' ३५६४. जप त्रिभुवन स्वामी सहसफणा प्रभु... ३४६५. जय रोहिणी वन्नइ.., ४८७२. जल जलती मिलती घणी रे लाल... ३८५०. जसु हृदय कमल... ६८९०. जहां तहां ठउर ठउर डूं डूं हूं... ६५२२. जांऊ बलिहारी जम्ब स्वामिनी रे.. ५५२०. जाग जग मकटमणि नाभि नपनंदा... ६७२५. जागतउ तीरथ तूं वरकाणा... ६६०१. जागि जागि जंतुया तुं... ६८७४. जागि जागि जागि भाई जागि रे तूं... ४७९२. जागो मेरे लाल... ६७३८. जागो रे जागो रे भाई प्रभात थयौ... ६६४३. जादवराय जीवे तूं कोडि वरीस... ३२६०. जादव वस करली ताबे मेरी ज्यांन... ७१२६. जाना है जग से ३३८८. जाय फंसा कुगुरु के... ५००४. जावंतरौ पियु वारौ... ३७१२. जिउरा करि निरंजन ध्यान... ४०५७. जिणंद जो मोही अरज... ४६७५. जिणंदराय हमकुं तारउ तारउ... ५३१०. जिण चउवीस नमी मन आणि... ५३०१. जिणवर धुरि त्रेवीसमोरे... ४९२६. जिणवर पास जिणेसर सेवियइ... ४०३८. जिणवर विहरती आयौ... ४६८८. जिणि आदी तुम्ह सीखडी जी... ३७५४. जिणि दिन नयणि निहालुं... . ५७८०. जिण नइ रे कहउ किम समकित... ५३७६. जिण पणम्यइ लाभइ भव अंत... ६१३९. जिनकुशल जुहारा... ३०९८. जिनकुशलसूरि आलम... ७०८९. जिनकुशलसूरिंद... ३०९४. जिनकुशल सूरिंद गुरु... ३६९२. जिनकुशलसूरीसर सेवइ जे इकतान... ५८०२. जिनगुण गाइजइ... ७०३६. जिन चरण चित्त मोयौ री मेरा... ५५००. जिन कुशल गुरु... ५७४४. जिनके नाम बिना नहीं तरणा... ५३३४. जिनचंद चरण नमी... ५७२४. जिनचन्द जग माहे बड़ो... . ५७७७. जिनचन्द जग माहे बड़ौ... . ३८१३. जिनचन्द्रसूरि गुरु वंदियै जी राज... ६२०३. जिनचन्द्रसूरि दादा... ४४८८. जिनजी की मुरति जिन जिम दीसे... ४४६०. जिनजी की मुरति जिन जिम दीसे... ३१३४. जिनजी के गुण गावो हारे लाला... ५६४८. जिनजी हम निज भगत तुम्हारे... ३७१६. जिनजी हो गढ जेसलगिरि... ४६१६. जिन तेरी छाय रही है महिमा... ५५२२. जिन तेरे नयम अनीयारे.... ३७८५. जिनदत्त का ध्यान... ५८३३. जिनदत्त कुशल... ३४५३. जिनदत्तसूर अर कुशलसूरि... ७०१४. जिनदत्तसूरि... ५८५ खरतरगच्छ साहित्य कोश Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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