Book Title: Khartargaccha Sahitya Kosh
Author(s): Vinaysagar
Publisher: Prakrit Bharti Academy

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Page 636
________________ मा सव... १५०३. जसु सासणदेवुवएस किय... १४५२. जस्स फणिंदफणोहो... १५१७. जयामल श्रीफलवर्द्धिपार्श्व.... १५३१. जयाश्वसेनभूपाल.... ९३२. जिण दिट्ठइ आणंदु... २०२६. जितभावद्विषां सर्व... ८८७. जिनकुशलसूरीशं... ६५०. जिनर्षभ प्रीणितभव्यसार्थ... १६२०. जिनवरेन्द्रवरेन्द्रकृतस्तुते... २८६०. जिनानामनामस्फुटद्धामधाम... १३२०. जिनाय यः प्राज्यतरस्म राजी..... १४. जिनेन्द्रमानन्दमयं जितैनः... २९१०. जिनो जयति यस्यांघ्रिसुरासुर... २९११. जिनो जिनस्नानपवित्रतोच्चै... १५३२. जीयाः शंखेश्वरपुर सरोरुह... १४४०. जीयाञ्जगच्चक्षुरपास्तदोष... १५५३. जीराउलि पहु पास जिणु माणमणि... १५८०. जीराउलि वल्ली वारितर... १५५४. जीरापल्लीपार्श्वतीर्थाधि... १५१८. जीरिकापुरपतिं सदैव तं... १६०१. जो आससेण-कुलखीरसमुद्दचंदो... २८८२. तं जयउ जए तित्थं... ६५१. तत्त्वानि तत्त्वानि भृतेषु... १६१२. तमालतालीवनराजिनीलं... १५१०. तमालनीलच्छविपिच्छलाङ्ग... . १५६४. तवेश नामतस्त्वरा... " १५५५. तारङ्गरङ्गदुर्गाधिप... २१. तारं तारङ्गदुग्र्गाधिपमजितपतिं... १६५. तिजयजणपुज्ज... ६२६. तिहुयणमंडण विमलनाहिकुल... १७. तीर्थसन्नायकं... २८८७. तीर्थसन्नायकं सिद्धितादायकम्... २६३०. तीर्थाधिनाथ... २६२८. तीर्थाधिनाथं वृषभं विभुं वर्द्धमानं... २१९७. तीर्थयात्राप्रचलित... १४९८. तीर्थराज मम पार्श्व हृद्ग्रहे युष्मदास्य... ३०२३. ते धन पुन सुकयत्थ नरा... २७७१. त्रिभुवनजनतातं स्फीत... १४८९. त्रिभुवनजनतारण... २४५१. त्रिलोकीतलानंद संदोहदाया...' १६२५. त्वद्भामण्डलभास्करे स्फुटतरे... २४५६. त्वं माता त्वं पिता बन्धुस्त्वं... १७९१. त्वमेव शरणं मेऽसि... १५१९. त्वां विनुत्य महिमश्रियामहं... . . १६६. थुणिसु छव्वट्टणे... २२०९. थुणिसु छव्वट्टणे पट्टणे... ९३१. दासानुदासा इव... १४६९. दीट्ठा पास जिणेसर पाया.... १४३३. फ्रेनेंकि धपमप... ६२५. देवतिहुयण पणय... .. २३३९. देवदुत्थिय देवदुत्थिय... १४५०. देव दुत्थिय देव दुत्थिय दुभ्भि सहारु... १४७०. देवः सदैव मुदितात्मनि... १५४९. देववर्माङ्गाजं पिष्टदुष्टाङ्गनं.... १५४२. देवाधीशकृतानते शुभगते... १४४१. देवाहिदेव सिरिथंभणपट्टणेस... २४६२. देविंदनागिंद... ६८७. देवैर्यः स्तुष्टवे तुष्टैः... ११३९. दोसावहारदक्खो... १४७२. धर्ममहारथसारथिसारं... १८३. धवत्त्वं मुक्तिकन्याया... १६०२. धारइ भुअंगाहिओ... २९१२. नखौष्टप्रवाली सभायारदाली... ९०३. नतनरेश्वरमौलिमणि... ९९२. नतसुरपतिकोटिकोटीर... ६५२. नतसुरेन्द्र जिनेन्द्र युगादिमा... २९४९. नत्वा गुरुभ्यः श्रुतदेवतायै... १६४९. नत्वा सरस्वती देवी... २५६१. नमवि अरिहंत पयणंत गुण आगरा... १५४३. नमस्यद्गीर्वाणाधिपतिनृपति... १५८१. नमामि श्रीपार्श्व कलिगिरिशिराकुण्ड... ९२८. नमाम्यहं श्रीजिनदत्तसूरिम्... ११६३. नमिऊण वद्धमाणं सुरनरदेविंद... १५३६. नमिय सिरि पासजिण... ५६६ द्वितीय परिशिष्ट Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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