Book Title: Khartargaccha Sahitya Kosh
Author(s): Vinaysagar
Publisher: Prakrit Bharti Academy

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Page 647
________________ ६२६२. आषाढइ आशा फली... ४०६०. आस पूरण धणि... ७००४. आसा पूरण... | ५४९१. आसा सफल फली... ६७८४. आसू मास वलि आवीयउ... ६७८९. आसू मास वलि आवीयउ... ६६६०. आहे सुन्दर रूप सुहामणउ... ४२५६. इक काया अरु कामिनी परदेसी रे... ६९५५. इक छइ नारी रङ्ग रसीली रे... ६९५४. इक नारी पद दीपे नीपनी... ३६२३. इक सुणलै नाथ अरज मोरी... ६४४६. इस अवसर करि रे जीव शरणा... ५६३९. इण जगी पापश्रमण... ४४९८. इण जून पाप श्रमण... ५५८१. इण मूरति कइउ वारणे... - ६४४०. इण योगी ने आसन दृढ़ कीना... ३५९५. इण वन वीर समोसस्या... ५१८६. इण संसार समुद्र को... ५३३९. इन्द्रभूति गुरु लब्धिनिलो... ४३०७. इमारइ माई कंत दिसाउर कीनौ... ४२९५. इया देही कउ गरब कीजइ... ६४५९. इया मो जनम की सफल घरीरी... ६४७७. इलावरध हो नगरीनुं नाम कि... ३३४०. इस दुनिया में तेरो... ३२५८. इस जादव जादू जुल्हम किया... ६७७३. इहु मेरा इहु मेरा इहु मेरा... ३७८४. उँ उँ श्री जिनकुशलसूरि... ४१७९. उँचउ गिरवर मांहे मेरु सुहामणउ रे... ६६३७. उग्रसेन की अङ्गजा... ३७२७. उग्रसेन की कुमरी भणइ... ४७३५. उछरंग सदा आज हुआ आणंदा... ७०९४, उछलती जल अकल बोल... ४९६२. उठ रे आतमवा मोरा... ४८०८. उठि कहा सोइ रहयउ... ४३०९. उण मीत परदेसी बिना मोहि... ६९७१. उत्तम वैद्य तूं आतमा... ४४४५. उत्तुंग तोरण... ४०६५. उत्तुंग तोरण देहरौ... ५५९७. उत्तुंग तोरण देहरो.... ६५३८. उदउ करौ संघ उदउ करौ... ३६९३. उदय करउ दादा उदय करउ... ५२३१. उदय थयो धन धन आजनो... ७१०६. उदैचन्द सुत ऊपज्यौ... ६४८०. उद्यम भाग्य बिना न फलइ... ५५८६. उद्योतन वर्द्धमान... ६५०३. उद्योतन वर्द्धमान जिणेसर... ३६९४. उनइ मेघ घटा करी... ३९०७. उनका जीना... ५८३०. उपदेशामृत का स्रोत... ४३२३. उपनउ रूप न आप लहइ री... ४८४५. उमडी घनघोर घटा मन थी... ४५२७. उमाहौ छै अति घणउ... ४५३९. उमाहौ मन में घणउ... ४६३८. उरसीउ आणि हे सखी... ६५३७. उल्लट धरि अमे आविया दादा... ५७९७. ऊँ नमो श्रावण आवियो... ५४४०. ॐ हीं दत्त कुशल... ४१६०. ॐ हीं श्रीमाण्डव... ५२४२. ऊगो धन दिन आज सफलौ... ५०५९. ऊंचा शिखर... ५१००. ऊंची तलाई री पाल... ५४०८. ऊंचे अम्बर के चन्दा... ३४६०. ऊजल केवल... ४११४. ऊठो ने मोरे आतमरामा... ४२१३. ऊपनौ केवलनाण... ४६९९. ऊभी राजुलदे राणी अरज करैछ... ३९७७. ऋषभ चरण कज ध्यावो मन भंमरा... ४३६७. ऋषभ जिणंद सुख कंद.... ३९६२. ऋषभ जिनेश्वर रायना... ५५६५. ऋषभ जिनेश्वर सेवो माई... ३५२६. ऋषभ जिनेसर देव नमूं... ५८१४. ऋषभादिक तीर्थंकर राया... ६४४१. ए अनागत तीर्थंकर चौवीस जिन... ३४१२. एक अरज अवधारिये रे वाल्हा... खरतरगच्छ साहित्य कोश Jain Education International ५७७ www.jainelibrary.org For Personal & Private Use Only

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