Book Title: Khartargaccha Sahitya Kosh
Author(s): Vinaysagar
Publisher: Prakrit Bharti Academy

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Page 641
________________ ५९४. श्रीमन्तं मगघेषु... १५३०. षड्पत्तनपुटभेदनमण्डन... ६६६. श्रीमारुदेवं नतसार्वदेवं... .. १४८१. सकलजगदेकदेव... २४२२. श्रीमालाख्यपुरे सुशर्मनगरे... १४९४. सकलभूतलभूषणशेखरं... २१८९. श्रीमल्लेर्वतजन्म-केवलवरज्ञानि... १५९२. सकलमङ्गलकेलिविधायकं... १५५९. श्रीलंभन-स्तम्भन-पत्तनेन्द्र श्रीपार्श्वविश्वेश्वर... | ९०८. सकलविबुधनम्या... २०८९. श्रीवर्द्धमानपरिपूरित.... १२४८. सख्ये सत्यपि दहनाद्... २०९०. श्रीवर्द्धमानः सुखवृद्धयेस्तु... २३१४. सच्छायागमविश्रुता सुमनसां. ९२४. श्रीवीरतीर्थेश्वर... २६१६. सज्ज्ञानभानु... १३७२. श्रीवीरेण गतेन पञ्चमगतिं... १६१३. सदसि दशशताक्षः... २५५३. श्रीशंखेश्वरनित्य... १६०५. सदानीलगात्रं... १६३८. श्रीशंखेश्वरमण्डनहीरं... १६०७. सदारुवन्दारु... १६०. श्रीशत्रुञ्जयपूर्वशैलशिखरे... १४८७. सन्तोषशर्मसदनं सदनन्द्यसारं... १०६४. श्रीशत्रुञ्जयशिखरे.... १५९३. सप्रभावमतिभावनिवेशं... १२७१. श्रीशत्रुञ्जयशैलराजभवतो... १५७६. समानो समानो... १५५. श्रीशत्रुञ्जयसिद्धक्षेत्र... २८५९. सम्म नमिऊण जिणे... २६०४. श्रीशान्तिदेववन्दितमिन्द्रचन्द्रैः... . ४६. सम्मत्तनाण दसण... २६१०. श्रीशान्तिनाथो भगवान्... १५९४. समरवि त्रिभुवन... १४९२. श्रीशेरीषकपत्तनावनिशिर... २६३५. समरवि शारदा देवि... १४८०. श्रीसङ्गरङ्गमकराकरकेलिधारं... २५६२. समरवि सरसति हंसला... २०९३. श्रीसत्यसत्यपुरपत्तन... १५४७. समुद्यन्तो यस्य क्रमनखमयूखा... २४६३. श्रीसर्वज्ञं जिनं स्तोष्ये... १३५१. सयलकल्याण... १३२३. श्रीसमुद्रविजयेशनन्दन... १३२५. सयलजगललियलावण्ण... २१०७. श्रीसिद्धार्थमहानरेन्द्रनन्दनं... १७८२. सयलभुवणिक्कवन्धव... २०९२. श्रीसिद्धार्थनरेन्द्रवंश... . १४१५. सयलसुरासुरनमियं.... १४३८. श्रीसिद्धिवध्वां मम संतु पार्श्व... १५६२. सयलसुरासुरनमियं... २९६०. श्रीसीमन्धरदेवमीश्वरविभुं... १५२७. सयलाहिवाहिजलहर... २०९८. श्रीसीमभीम नृप पल्लिमतल्लिकायां... १४९७. सरभसनतविद्याधरसुरवरमुनि... १५६०. श्रीस्तम्भन... २८५४. सरभसलसद्भक्तिप्रवी... १४४७. श्रीस्तंभनपुरवरेऽभयदेवसूरि... १५९५. सर्वकामितविधायक पार्श्व... १४९३. श्रीस्तम्भनाम्भोज... १५०२. सर्वदेवसेवितपादपद्म... १३१८. श्रीहरिकुलहीराकर... ४७५. सर्वशास्त्रार्थवक्तृणां... २११०. श्रेयःशालः सहः शाली... १५७४. सर्वश्रिया ते जिनराज राजतः... २६०५. श्रेयशान्तिसुखसंपदकारी... १५७३. संसारवारिनिधितारक... २७८०. श्रेयो दधानं कमलनिधानं... २०८०. सानन्दनम्रसुरकोटिकिरीटपीठ... १६५०. श्रेयोमयं ही बलमालमालमा... २१०६. सानंदनम्रसुरकोटिकिरीटपीठ... २२६८. श्रेयस्कारि सतां यदाशु चरितं... २५६३. सामिय रिषह पसाउ करी... २१०५. षट्कल्याणकमर्हतो.... २८६९. सार्द्धद्वादशहेमकोटय... खरतरगच्छ साहित्य कोश ५७१ Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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