Book Title: Khartargaccha Sahitya Kosh
Author(s): Vinaysagar
Publisher: Prakrit Bharti Academy

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Page 640
________________ १३४८. विनम्रदेवाधिभुवाकिरीट... २७७२. विनम्रदेवाधिभुवाकिरीट... १५४५. विनयविनमदिन्द्र... १५०. विनेय विवेक विचार.. १८१. विनौति यो नो संकलानिकेतनं... ८८९. विपुलविशदकीर्ति..... ६६३. विभक्तिभिः सप्तभिरस्मिसर्व... १६९. विमलगिरिवरवतंस... २८६३. विमलगुणमणिकरण्डं... १३०६. विमलरैवतकाचलशेखरः... १५७. विमलाचल विमलाचल... २८७१. विरराजय दशतटद्वितये... १५९. विमलशैलमहावनिनायकं... १७९. विमलशैलशिरोमुकुटायितं... १७२. विमलशैलशिरोवरिभासुरं... १९. विशदसंविदमस्तमिताविदं... १६४. विश्वप्रभुं प्रणमत... २०८८. विश्वश्रीधुरच्छिदे... २०. विश्वेश्वरं प्रथितमन्मथभूपमानं... १५७२. विश्वेश्वराय भवभीति... २६१२. विश्वसेननरनाथनन्दनं... १४७८. विषमसंसारसरतार तारुयवरं... १५५७. विहियामोयपमोयं... १६३७. वृषभधुरन्धर उद्योतनवर... १३१६. व्याख्यास्तु यस्य रदन.... १५४६. शक्तिशूलेषुमुसल... २३. शक्रसहस्र नयनोपि गुणावसानं... २८६४. शक्रो जिनस्तुतिकृतौ... १६४५. शश्वच्छासनवैरिदानववधूवैधव्यदानोद्गतं... | १६१८. शान्तानम्रोकरक्षा... २६१७. शान्तिनाथं भजे शान्ति... २३५६. शान्ते तव स्वान्तमचक्षुमन्त्रो... २६१३. शिवश्रीवरं चङ्गसारङ्गवास... १४३५. शिवलसद्गुणराजविराजित... १५५८. शीलमहोदसहोदरस्य वपुषः... २६०९. शृङ्गारभासुरसुरासुरगिरि... २६०६. अंगारभासुरसुरासुरमौलि... १५८९. शेषराजफणराजिराजि... १३१३. श्रीउज्जयंतगिरिराजशिरोविलासं... २६३१. श्रीऋषभवर्द्धमान... १५९०. श्रीकल्पपाटकरहेटकभूवतंसं... २८७. श्रीगौतमप्रकटिते स्फुटपञ्चवर्ण... ६८८. श्रीचन्द्रप्रभदेवमष्टमजिनं... ६१७. श्रीचक्रेश्वरी चक्रचुंबित करे... ९०९. श्रीजिनचन्द्रसूरीणां... २२००. श्रीजिनचन्द्रसूरीणां... ९३४. श्रीजिनदत्तगुरुं जिनचन्द्रगुरुं... २०२८. श्रीजिनदत्तसूरिंद... १५९१. श्रीजीरापउल्लीपुरी मेरुदरी धरणी... ९००. श्रीजैनधर्मे प्रथितप्रभाव... २०३७. श्रीदेवनिर्मितस्तूप.... १७०. श्रीदेवराजपुरचन्दनपारिजातं... ८९७. श्रीदेवराजपुरमण्डन... ३०२२. श्रीनाभिनन्दनं देवं... ६४०. श्रीनाभेय... १६४२. श्रीनिवासं सुरश्रेणिसेव्यक्रम.... १०३२. श्रीनेमि जिणेसर पणय सुरेसर... ९८५. श्रीमज्जेसलमेरुदुर्गनगरे... ६५९. श्रीमतां मरुदेवाभून भिजातो... ६३२. श्रीमत्पार्श्वजिनेन्द्रं... ६३३. श्रीमत्पार्श्वनाथजिनेन्द्र... २१००. श्रीमद्वीरं तथा प्रसीद... १४३२. श्रीपार्श्वदेवः सुखदायी सेवः... ११६५. श्रीमद्वीरजिनेश्वरेण कथितं... १५२४. श्रीपार्श्व: भावतः स्तौमि... १६४१. श्रीपार्श्वजिनेश्वर प्रणमउ धरि. १५४०. श्रीपार्श्वनाथं तमहं स्तवीमि... १६१९. श्रीपार्श्वनाथजिनहंतम... १४६०. श्रीपार्श्वनाथप्रभुमीश्वराणां... १५२३. श्रीपार्श्व पादानतनागराज... १५२२. श्रीपार्श्व परमात्मानं... १५२५. श्रीपार्श्व श्रेयसे भूयात्... १५२६. श्रीफलवर्द्धिपार्श्व... २१८८. श्रीभाग्नेमिर्बभाषे... ५७० द्वितीय परिशिष्ट www.jainelibrary.org Jain Education International For Personal & Private Use Only

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