Book Title: Khartargaccha Sahitya Kosh
Author(s): Vinaysagar
Publisher: Prakrit Bharti Academy

View full book text
Previous | Next

Page 637
________________ ५०५. नमिय सिरि वीरनाहं.... १३५०. नमिर अमरिंदमणिमउडचुंबीपए... २६०३. नमिरनरासुरसुरवरकिरीडमाणिक्क... १५८६. नमिरसुर... २९६७. नमिरसुरअसुरनरविन्दवंदियपयं... ४७६. नमिरसुरासुर... २६१५. नमिरसुरासुर... १६२६. नमिरसुरासुरखयरराय... २६०७. नमिरसुरासुरनरवर... २७९. नमेन्द्रचन्द्र कृतभद्र जिनेन्द्रचन्द्र... ६९१. नमो महसेननरेन्द्रतनुज... २४५५. नमोस्तुते जगन्नाथ... २०६८. नम्राखंडलमंडल स्तुत... २७७. नयगमभंगपहाणा... १४५८. नयति नयति जाता जातकीर्तिप्रमोदं... १५८५. नयपुरी फलवर्द्धिविशेषक... १३११. नरनाकिनभश्चरयोगिनतं... १५३३. नवांगीव्याख्यानोभयदेव... १४२८. नव्याम्भोधरसोदरीस्तनुरुचारा... २५९६. न व्योमस्थितिवर्जितो नखमणि... १५२. नानातीर्थसमाहितामलजलं... २८७३. नाभिनरिंदमल्हार... ६५३. नाभेय शोचिनिर्ममो..... ६३८. नाभेयाजितवासुपूज्य... २८६१. नाभेयाजितवासुपूज्यसुविधि... २८६२. नाभेयाद्या जिनेन्द्रा वरकरकनिभा... २१०४. नायकुलमयंकं सीहंकं पंचबाण... १३१०. नित्यं गोभि... ६३७. नित्यानन्दमयं स्तुवेतमनघं... ३०२४. नियजम्मु सफलु... २२०७. निरवधिरुचिरज्ञानं... १५११. निरुवममहिमनिवासं हयभवपासं... १३५३. निलिम्पलोकायितभूतलं... १४७१. निशमय गवडीश्वर जिनराज... २५९७. निष्ठरकमठमहासुर... २०८६. निस्तीर्णविस्तीर्णभवार्णवं... १४२९. निहतभवनिवासं नीलराजीवभास... १६३९. नीलुप्पलपहदेहो फणिंदफणमणि... १४९९. नुत पार्श्वजिनं नत देवमणिं... २०७९. नुत वीरजिनं नत देवमणिं... १३२८. नेमिजिण विमलगुणगहणमणसंगयं... १३१४. नेमिसमाहितधिया... १३२४. नेमिसमाहितधिया... १४७३. पउमावई धरणिंदा... ११२३. पंच समिउ तिगुत्तो... १०६७. पणमिय जिणवरचलणे... २८७९. पणमिय जिणवर चलने... २६८. पणमिय सुरनरपूइया... १४६१. पणयजणपूरिया संकयदुह... २८५८. पणयसुरविसरसिरमउड... १५०१. पदद्वयाशक्तनखप्रभूता... ११६६. पद्मप्रभप्रभोर्जन्म....... ८८८. पद्मा कल्याणविद्या... १६२७. परमपासपहू महिमालयं... १६४०. परममंगलराजितसंचरं... १५००. परमिट्ठिमलसारं...... १३७०. परमेष्ठिनः सुरतरून्... ६३१. परसिद्धि कए सिरि रिसहनाह... २०८७. पराक्रमेणैव पराजितोयं... १३०३. पसु तणउ राखिउ एक बाडउ... ७४५. पहिलउं पणमउं आदि जिणंद... १७३. पहिलउ पणमिउ देव... ६५४. पात्वादिदेवो दशकल्पवृक्षाः... २९१३. पापा धाधानिधापाधिगमपमिगसासा.. १५. पायकमल पणमेव... १५३४. पायात्पार्श्वपयोद.... १४४२. पायात्पार्श्वपयोदधुति... १५४४. पायात्पार्श्वः पयोदद्युतिरुपरि... २३२९. पायाद्भवत्खरतरामल... १५२०. पार्श्वनाथमनघं... १५८७. पार्श्वप्रभुं कपिलपाटककल्पवृक्षं... १६२८. पार्श्वप्रभुं केवलभासमानं... १५२१. पार्श्वप्रभुं शश्वद्कोपमानं... | २५९८. पार्थोऽवताद्यो रदपांडिमोच्चरत्... खरतरगच्छ साहित्य कोश Jain Education International ५६७ www.jainelibrary.org For Personal & Private Use Only

Loading...

Page Navigation
1 ... 635 636 637 638 639 640 641 642 643 644 645 646 647 648 649 650 651 652 653 654 655 656 657 658 659 660 661 662 663 664 665 666 667 668 669 670 671 672 673 674 675 676 677 678 679 680 681 682 683 684 685 686 687 688 689 690 691 692