Book Title: Khartargaccha Sahitya Kosh
Author(s): Vinaysagar
Publisher: Prakrit Bharti Academy
View full book text
________________
२८५३. ओं नमस्त्रिदशवन्दितक्रमे... ९२६. ॐ हीं गिव्वाणचक्कं.... ९३५. ॐ हीं श्री अहँ अर्हद्भ्यो नमो नमः... १४८८. ओं हीं श्रीं धरणोरु... ९६४. कच्छान्तर्गतलायजाख्यनगरे.... ६४९. कनककान्तिधनुः शत... १३६०. कनक-केतक-केसर-दीधिति... २०६९. कनकरुचिशरीरं भूधराधीरधीरं... १६००. कमठासुरमाणगिरिंदपविं.. १६२४. कमनकन्दनिकन्दनकर्मदं... १४६६. करूं ध्यान जिणेसर पासनउं... १०६३. कर्मभूमिषु ये केऽपि... २६२९. कल्याणवल्लि जलहर पणमिय...
२४. कल्लोलानिव सैन्धवान्... २०८४. कंसारिक्रमनिर्यदा... १५८४. कस्मूरिका कुवलयालि... २७७९. कामारिदन्तावलि... ' १५१६. कामे वामेव शक्ति... ' १२४७. किं कप्पतरु रे अयाण चिंतइ... १६१०. किं कर्पूरमयं... १५०६. किं कर्पूरमयं सुधारसमयं... १४६७. किं निर्वाणपुराणपादपफलं...
८९०. कुशल-मंगल... . १२६६. कुष्ठादिरोगशमकं.... २९६६. केवलनाणसनाहं... १६६२. केवललोकितलोकालोक... २०७०. क्षिप्ताभिदे दश सरा इव... १५०८. खरतरगणवर समर डमरभर...
९५९. खरतरामलशिष्टगणार्चितं... १३४९. गर्भावतारजननव्रतकेवलान्त्य... ५३२. गुणमणिरोहणगिरिणो... ५३३. गुणमणिरोहणगिरिणो... ९६०. गुणगाम्भीर्याद्यै-र्विजितजलधेः... २८७४. चउवीसं उसभाई.... १०६२. चउवीसंपि जिणंदे... . १५४१. चक्रे यस्य नतिः सदा किल सुरै... १३०९. चञ्चच्चरित्रनाथ...
२४०. चतुर्यामेषु शीता यामिनी... ६६९. चत्तारि जिणवीसं... २८७६. चाञ्चापतिः सुरपति... १६११. चित्तबहुलाइ चविउं... २०८५. चित्रैः स्तोष्ये जिनं वीरं.... ४७४. चिदब्येः पाराः स्फरदमलपंकेरुह...
७३५. च्यवनं यस्य सर्वार्थ... १५७८. छत्रं भेर्यंशुबिम्बं प्रवरमणि... २०७८. जइज्जा समणे भयवं.... १४६८. जगज्जीवजीवातपण्योपदेशं... '
९०२. जगति युगप्रवरजिनकुशलसुरीश्वर... २४३८. जगत्स्तव्यं जगद्वन्द्यं... १५०७. जगद्गुरुं जगद्देवं... २१२२. जगमण्डणु गुणपवरं... २८७०. जगमंडणगुण-पवरं सित्तुंजय... १४८३. जनवनवनधर धरणधर...
५९३. जम्मपवित्तियसिरिमगहदेस... १४३१. जयति जगति देवः सेवकानां समन्तात्... १४५७. जयति जगति पार्श्व: पुण्यसम्प्राप्य पार्श्व... १५०९. जग जगत्त्रयमौलिमहामणे.... २६२३. जय जय जगदेकमातनमि चन्द्र... २८२६. जय जय जय जय जय जिनराज... १६०४. जय जय जिनतारक... १३१९. जय जय जय नेमे धर्मचकै.... १४३६. जय जिनतारक हे जगदाधरक... २४५७. जय जय जिण सुप्रसन्न मणा... २०६४. जय जय वीर जिणेसर देव... २९६९. जय जय सीमन्धर जगदीश्वर... ८६८. जयतिहुअणवरकप्परुक्ख... २१०८. जयति वीरजिनो जगताङ्गज... २४५८. जयन्ति पादा जिननायकस्य... २९८८. जय भुवियण जणमणकमलभाणु... २९५९. जयवन्तमहन्तभवन्तकरा.... २८७५. जय वीतमोह जय वीतरोष... २७६. जय वृषभवृषभवृषविहितसेव...
९५. जय शरदसकलदशहयवदन... १५७७. जसु सासणदेविवएसि...
खरतरगच्छ साहित्य कोश
५६५
Jain Education International
For Personal & Private Use Only
www.jainelibrary.org

Page Navigation
1 ... 633 634 635 636 637 638 639 640 641 642 643 644 645 646 647 648 649 650 651 652 653 654 655 656 657 658 659 660 661 662 663 664 665 666 667 668 669 670 671 672 673 674 675 676 677 678 679 680 681 682 683 684 685 686 687 688 689 690 691 692