Book Title: Khartargaccha Sahitya Kosh
Author(s): Vinaysagar
Publisher: Prakrit Bharti Academy

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Page 620
________________ कर्ता नाम क्रमांक | कर्ता नाम क्रमांक जिनचन्द्रसूरि/जिनदत्तसूरि १३११, १४९७, २५०१, | जिनपद्मसूरि/जिनक्षमासूरि ८९१, ४१३५ २५०३ | जिनपालोपाध्याय २५६, ५६३, ७०७, ९३६, जिनचन्द्रसूरि/जिनप्रबोधसूरि १५९, १६०, ६२५, ११५७, ११९८, १३७७, २७२७, २७५२, २८०१, १३१२, १३१३, १४९८, १४९९, १५००, २०७९ / २८०२, ३०४९, ३०५० .जिनचन्द्रसूरि/जिनमाणिक्यसूरि १२१, १३६०, जिनप्रबोधसूरि ३९८, १३८२, १९६४, २४७८ __ १५०१, १७६१, १८८८, २६२०, ४०२०-४०२३ | जिनप्रभसूरि २०, २५, ५३, ९५, १०९, २४६, जिनचन्द्रसूरि/जिनयशोभद्रसूरि १६९६ २६८, २७३, २७७, ३४७, ४०१, ४०९,५४४, जिनचन्द्रसूरि/जिनरत्नसूरि १५०२, ४०८५-४०९३ ५६९,५९२,५९३,५९४,६१९,६४४, ६४५, जिनचन्द्रसूरि/जिनरङ्गसूरि २१६८ ६४६, ६४७, ६४८, ६४९, ६५०, ६५१, ६५२, जिनचन्द्रसूरि/जिनलाभसूरि १७०३, १७०७, ६५३, ६५४, ६५५, ६५६, ६८७, ६९१, ७३९, ४०९४-४१२६ ९४६, ९९०, १०५३, १०६२, १०६६, १११३, जिनचन्द्रसूरि/जिनहर्षसूरि ४८३ ११३९, ११४४, ११६६, १२००, १३१८,१३५३, जिनचन्द्रसूरि जिनाक्षयसूरि ४१२७-४१३४ १३६५,१३६९,१३७०,१३९६,१३९८,१४००, जिनचन्द्रसूरि/जिनेश्वरसूरि १८७, ४७३, १०१३, १५१४,१५१५,१५१६,१५१७,१५१८,१५१९, . १३६४, १९५४, २६८७, २७७५ १५२०,१५२१,१५२२,१५२३,१५२४, १५२५, जिनचन्द्रसूरि/जिनेश्वरसूरि बेगड़ २१८, ११४६, १५२६, १५२७,१६५५,१६५७,१७७८, १८३०, १७९६, २२६३, २२६६, ४०२४-४०८४ १९६२, १९८१, १९८८,२०२६, २०३६, २०३७, जिनचारित्रसूरि १२२१ २०८२, २०८३,२०८४,२०८५,२०८६,२०८७, जिनजयसागरसूरि ५३८,६९६, ९१० २०८८,२०८९,२०९०,२०९१,२०९२, २१३४, जिनदत्तसूरि २३, १८६, २३४, २४४, २५५, २१९०, २२०५, २२०६, २२०७, २२०८, २२८५, ४११, ५३२, ५३३, ५७७, ६१७,७०६,७२९, २३२५, २३३२, २३३४, २३९८, २४११, २४२३, १०८६, १२२४,१३८७,१५०३, २०४८, २०७३, २४३३, २४४५, २४५८,२५५२,२६०८, २६०९, २२२०, २३५१, २३६७, २४४०, २६१८, २६३८, २६१०, २६२२, २६६९, २७३२, २८५३, २८९१, २७१५, २७६२, २८१९, २८६४, २८८२, २९७७ २९२०, २९४९, २९८६,३०१७, ३०१८,३०२३, जिनदेवसूरि ४१९, २६३९ ३०२४,४१३६,४१३७ जिनधरणीन्द्रसूरि ८९० जिनभक्तिसूरि ४१३८-४१५२ जिनपतिसूरि १९, २४, १६१, ६४०, ९९१, | जिनभद्रसूरि/जिनराजसूरि - १३७८ १२६९, १३१४, १३१५, १३१६, १३५२, १३७५, | जिनभद्रसूरि/जिनप्रियोपाध्याय ४४३, ९८४, १५०४,१५०५,१५०६,१५०७,१७८९, २०७४, । ११६०, १२१७, १४३९, १५२८, १५२९, १५३०, २०८०,२०८१, २६०१,२६०७, २७८५, २८३१ २५७६, ३०१६,४१५३-४१५७ जिनपद्मसूरि १६२, १११९, ११२३, १३१७, | जिनमणिसागरसूरि ५७, ४७२, १०९६, ११२७, १३५४,१५०८,१५०९,१५१०,१५११,१५१२, - ११२८, ११३८, १९५५, १९५६, १९५७, २७२२, १५१३, २१२२, २६०६, २६२४, २८७०,३१३१ | २८९२, २९०७,२९०८ . ५५० Jain Education International प्रथम परिशिष्ट For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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