Book Title: Khartargaccha Sahitya Kosh
Author(s): Vinaysagar
Publisher: Prakrit Bharti Academy
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६६२६. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, धर्म महिमा गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं,
'आदि-रे जीया जिन धर्म कीजइ... गा. ६', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. ४२४ ६६२७. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, नग्गइ प्रत्येक बुद्ध गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी,
१७वीं, 'आदि-पुंड्रवर्द्धन पुर राजियउ म्हांकी... गा. ६', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि,
पृ. २७२ . ६६२८. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, नमि प्रत्येक बुद्ध गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी,
१७वीं, 'आदि-नयर सुदरसण राय हो जी... गा. ६', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. २६९ ६६२९. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, नमि राजर्षि गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं,
___ 'आदि-जी हो मिथिला नगरीनउ... गा. ७', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. २७१ ६६३०. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, नरकगति प्राप्ति गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी,
१७वीं, आदि-जीव तणी हिंसा करइ... गा. १०', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. ४६२ ६६३१. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, नववाड शील गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १६७०
अहमदाबाद, आदि-नववाडि सेती सील पालउ... गा. १३', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि,
पृ.४५८ ६६३२. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, नावी गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, आदि
नावा नीकी री चलइ नीर मझार... गा. २', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. ४४० ६६३३. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, निद्रा गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि
सोइ सोइ सारी रयणि गुमाइ... गा. ३', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. ४३६ ६६३४. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, निन्दा परिहार गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं,
'आदि-निन्दा न कीजइ जीव पराई... गा. ४', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. ४५१ ६६३५. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, निन्दा वारक गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं,
'आदि-निन्दा म करजो कोई नी पारकी रे... गा. ५', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि,
पृ. ४५१ ६६३६. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, निरंजन ध्यान गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं,
'आदि-हां हमारइ परब्रह्म ज्ञानं... गा. २', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. ४४६ ६६३७. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, नेमिनाथ गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं,
___ 'आदि-उग्रसेन की अङ्गजा... गा. ३', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. १२६ ६६३८. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, नेमिनाथ गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं,
'आदि-एक वीनति सुणउ मेरे मीत हो... गा. २', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. १२४ ६६३९. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, नेमिनाथ गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं,
'आदि-एतनी बात मेरे जीउ खटकइ री... गा. ३', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ.१३०
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खरतरगच्छ साहित्य कोश
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