Book Title: Khartargaccha Sahitya Kosh
Author(s): Vinaysagar
Publisher: Prakrit Bharti Academy

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Page 567
________________ ६७८७. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, युगप्रधान जिनचन्द्रसूरि गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-पूज्य जी तुम चरणे मेरउ मन लीणउ... गा. ३', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. ३७२, दादागुरु भजनावली, पृ. ४४६, ऐतिहासिक जैन काव्य संग्रह, पृ. १०७ ६७८८. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, युगप्रधान जिनचन्द्रसूरि गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, आदि-सुगुरु चिर प्रतपे तूं कोडि वरीस... गा. ३', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. ३७२, दादागुरु भजनावली, पृ. ४४७, ऐतिहासिक जैन काव्य संग्रह, पृ. १०७ ६७८९. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, युगप्रधान जिनचन्द्रसूरि गीत-आलजा, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-आसू मास वलि आवीयउ... गा. ११', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. ३७४, दादागुरु भजनावली, पृ. ४४२ ६७९०. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, युगप्रधान जिनचन्द्रसूरि गीत-चंद्राउला, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, आदि-श्री खरतरगच्छ राजीयउ रे... गा. ४', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. ३६८, दादागुरु भजनावली, पृ. ४४६, ऐतिहासिक जैन काव्य संग्रह, पृ. १०८ ६७९१. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, युगप्रधान जिनचन्द्रसूरि छन्द, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-अवलियउ अकबर तास अंगज... गा. ४', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. ३७०, दादागुरु भजनावली, पृ. ४०७ ६७९२. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, युगप्रधान जिनचन्द्रसूरि छन्द, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-सुगुरु जिणचंद सौभाग सखरौ लियो... गा. ७', मु., समयसुन्दर :: कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. ३७३, दादागुरु भजनावली, पृ. ४०८ ६७९३. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, युगप्रधान जिनचन्द्रसूरि गीत रागमाला, गीत स्तवन, राजस्थानी, १६५२, 'आदि-कीजइ ओच्छव संता सुगुरु केरउ... गा. १५', मु., । समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. ३६५, दादागुरु भजनावली, पृ. ४४३, ऐतिहासिक जैन काव्य संग्रह, पृ. १०४ ६७९४. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, युगप्रधान जिनचन्द्रसूरि गीत-स्वप्नगीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, आदि-सुपन लयुं साहेलडी रे... गा. ६', मु., समयसुन्दर कृति . कुसुमाञ्जलि, पृ. ३७०, दादागुरु भजनावली, पृ. ४४७ ६७९५. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, युगमन्धर जिन गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-तूं साहिब हूं तोरउ... गा. ५', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. ५० ६७९६. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, राती जागी गीत, गीत स्तवन; राजस्थानी, १७वीं, .. 'आदि-गायउ गायउ री राती जागउ रङ्गइ गायउ... गा. ४', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, . पृ.४९३ ६७९७. समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, रामचन्द्र गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-प्रियु मोरा तई आदरयउ वइराग... गा. ५', मु., समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. २९८ खरतरगच्छ साहित्य कोश 497 Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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